शहीद आजाद ने अंग्रेजों के पकड़ में ना आने की शपथ लेकर खुद को गोली मार ली- दिलीपसिंह जाधव

शहीद चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा पर किए श्रद्धासुमन अर्पित
देवास। बड़ी-बड़ी आंखें, बलवान शरीर, मझला कद, चेहरे पर स्वाभिमान और देश प्रेम की चमक, तनी हुई नुकीली मूछें, ऊपर से कठोर, अन्दर से कोमल, चतुर और कुशल निशानेबाज। इन शब्दों से मां भारती के उस शेर की तस्वीर बनती है, जिन्हें हम चंद्रशेखर आजाद के नाम से जानते हैं।
आज चंद्रशेखर आजाद की पुण्यतिथि है। महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद 27 फरवरी 1931 को शहीद हुए थे। चंद्रशेखर आजाद का जीवन ही नहीं उनकी मौत भी प्रेरणा देने वाली है। आजाद ने अंग्रेजों के पकड़ में ना आने की शपथ के चलते खुद को गोली मार ली थी। आजाद जब तक जिए आजाद रहे। उन्हें कोई कैद नहीं कर पाया।
उक्त विचार बलिदान दिवस पर चंद्रशेखर आजाद स्मृति समिति द्वारा एबी रोड़ स्थित चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा पर श्रद्धासुमन कार्यक्रम में संयोजक दिलीपसिंह जाधव ने व्यक्त किए। समित द्वारा प्रतिमा पर माल्यार्पण कर नमन करते समिति के नवनियुक्त संचालक गुरूचरण चौधरी पहलवान, अशोक गायकवाड़, सुरेंद्र वर्मा, मनीष पारीक, रजनीश द्वीवेदी, अमितराव पंवार, महेश मिठे, भेरूसिंह पहलवान, अजय देशमुख, भावेश वाबले, अनुप पहलवान, दीपक जाट, सुनीतसिंह ठाकुर सहित समस्त राष्ट्र भक्तो ने उपस्थित होकर श्रद्धासुमन अर्पित किए।

Post Author: Vijendra Upadhyay

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