राम कथा का कोई फल नहीं, राम कथा ही फल है- पुष्पानंद महाराज


देवास। राम कथा का कोई फल नहीं ।राम कथा ही फल है। जीवन में किए गए समस्त सत्कर्मों का फल राम कथा के रूप में जीव को प्राप्त होता है। जब हमारे मन में राम कथा को सुनने की व राम कथा का आयोजन करने की भावना जागती हैं। तो यह मानना चाहिए कि हमारे जीवन में जन्म-जन्मांतर के किए गए सत्कर्मों का फल परमात्मा ने हमें प्रदान कर दिया है। यह विचार महेश्वरी भवन श्री राम मंदिर भेरूगढ़ में 24 से 30 दिसंबर तक आयोजित की गई सात दिवसीय राम कथा के दौरान कथावाचक पुष्पानंद महाराज कांटा फोड़ वाले ने प्रकट किए। कथा शुभारंभ पूर्व जेल रोड से राम कथा की भव्य शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा का माहेश्वरी समाज सहित सभी माता, बहनों, धार्मिक संस्था व सामाजिक संस्था पदाधिकारी ने जगह जगह पुष्पवर्षा कर भव्य स्वागत किया। शोभा यात्रा का समापन कथा स्थल पर हुआ। राम नाम की महिमा का वर्णन करते हुए पुष्पनंद महाराज ने आगे कहा कि राम नाम की महिमा चाहे अपने जीवन में राम को स्वीकार न करें। लेकिन अंत में हमें राम नाम को स्वीकार करना ही पड़ता है। जैसे आम है आम का कोई फल नहीं। आम ही फल है। सारे शास्त्रों का सार राम कथा है। इसलिए राम कथा का फल नहीं होता। राम कथा ही फल है। सारे वेद पुराण गीता यह सब क्या है दूध दही मक्खन है। लेकिन इन सबका सार घी है। क्योंकि घी से बत्ती जलती है और अंधकार नष्ट होकर प्रकाश प्रकट होता है। वैसे ही हमारे जीवन में जो अंधकार हैं संशय के वह राम कथा के सानिध्य में जाने से संशय रूपी अंधकार नष्ट होकर ज्ञान का प्रकाश मिलता है । कथा के दौरान पुष्पानंद महाराज ने 22 जनवरी को रामलला की भव्य स्थापना के अवसर पर घर-घर दीप जलाकर रामलला के स्थापना का दीपावली जैसा उत्सव मनाने का धर्म प्रेमियों से आग्रह किया है। आयोजक मंडल के मधु महेश चंद्र झंवर, उमा पुरुषोत्तम झंवर, श्रद्धा लोकेंद्र झंवर पूनम प्रतीक झंवर ने व्यासपीठ की पूजा अर्चना कर आशीर्वाद लिया। कथा प्रतिदिन 2 से शाम 5:00 बजे तक होगी। सैकड़ो धर्म प्रेमियों ने कथा श्रवण कर धर्म लाभ लिया।

Post Author: Vijendra Upadhyay