कुत्ता-प्रेम की आड़ या संगठित खेल?
देवास की सड़कों पर आवारा कुत्तों का संकट और आंदोलन की आड़ में उठे सवाल
आंदोलन में किया गया स्कूली बच्चों का उपयोग, पत्रकारों के साथ भी हुई अभद्रता
देवास। शहर में आवारा कुत्तों की समस्या से नागरिक त्रस्त हैं। बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं आए दिन इनके हमलों का शिकार बन रहे हैं। नगर निगम की नाकामी को उजागर करने के लिए आज कुछ तथाकथित पशु-प्रेमियों ने आंदोलन किया, लेकिन आंदोलन की आड़ में जो घटनाएं सामने आईं, उन्होंने पूरे मामले को संदेहास्पद बना दिया। पत्रकारों से बदसलूकी, छात्राओं को प्रदर्शन में खड़ा करने और दिल्ली से मेल खाते पोस्टरों ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या यह वास्तव में कुत्ता-प्रेम है या किसी बड़े नेटवर्क की साजिश।
पत्रकारों पर दबाव, अभद्रता और हाथापाई
मौजूद मीडियाकर्मियों का आरोप है कि जब उन्होंने आंदोलन में स्कूली बच्चियों की मौजूदगी पर सवाल किए, तो आंदोलनकारियों ने बदसलूकी की। हाथापाई तक की स्थिति बन गई, कैमरे और मोबाइल उपकरणों को भी नुकसान पहुंचाया गया। पत्रकारों का कहना है कि वे सिर्फ पक्ष जानना चाहते थे, लेकिन आंदोलनकारियों ने आक्रामक होकर जवाब दिया और उन्हें चुप कराने की कोशिश की।
बेटी बचाओ का नारा, लेकिन बेटियों का इस्तेमाल
प्रत्यक्षदर्शियों और छात्राओं के बयानों से साफ हुआ कि शिशुविहार स्कूल की नाबालिग छात्राओं को पढ़ाई छोड़कर आंदोलन में खड़ा कर दिया गया। कई बच्चियों ने कहा कि वे पढ़ाई करने आई थीं, लेकिन उन्हें सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया गया। यह गंभीर सवाल उठाता है कि शिक्षा से वंचित कर बेटियों को आंदोलन में इस्तेमाल करना कहां तक उचित है।
नगर निगम की नाकामी, जनता में नाराजगी
शहरवासी लंबे समय से आवारा कुत्तों की समस्या से परेशान हैं। नगर निगम ठोस कदम उठाने में पूरी तरह असफल रहा है। लोगों का कहना है कि कुत्तों को काबू करने की बजाय सवाल उठाने वाले पत्रकारों पर दबाव बनाना यह दर्शाता है कि कहीं न कहीं सच्चाई को छिपाने की कोशिश हो रही है।
दिल्ली से देवास तक एक जैसे पोस्टर
शहर में चर्चा है कि यह आंदोलन महज स्थानीय विरोध नहीं, बल्कि किसी संगठित नेटवर्क का हिस्सा हो सकता है। दिल्ली और देवास में एक जैसे पोस्टर और कंटेंट सामने आने से संदेह और गहरा हो गया है। नागरिकों का मानना है कि या तो इस पूरे अभियान में बाहरी फंडिंग हो रही है, या फिर जानबूझकर देश को असुरक्षित और अव्यवस्थित दिखाने की रणनीति बनाई जा रही है ताकि पर्यटन और विकास प्रभावित हों।
पुलिस जांच के दायरे में पूरा घटनाक्रम
पत्रकारों ने थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि शिकायत की जांच की जा रही है और दोषियों पर विधिसम्मत कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। इधर समाज का कोई जिम्मेदार और समझदार व्यक्ति इस आंदोलन में शामिल न होना भी कई सवाल खड़े कर रहा है।