जितना भक्ति के तत्व को प्राप्त करोगे जीवन में उतना आनंद प्राप्त करोगे- पं. प्रदीप मिश्रा

देवास। जीवन में कितने ही सतकर्म और पुण्य करो जब तक पूर्ण समर्पण के साथ ईश्वर के प्रति विश्वास धारण नहीं होगा तब तक परमात्मा की अनुभूति प्राप्त नहीं होंगी। भगवान को पाने के लिये अपार श्रद्धा के साथ उसे मन से याद करना होगा। सात दिनों की भागवत कथा के भक्ति रस का पान राजा परीक्षित की तरह करना होगा तभी संसार से मोह छूट कर यह मन ईश्वर की शरणागति की ओर जाएगा। जैसे अग्रि के सात फेरे लेकर एक स्त्री पूरे मन से पति का वरण कर सारा जीवन उसे समर्पित कर देती है उसी तरह भागवत कथा के सात दिन श्रवण करने से यह आत्मा जगतपति का वरण कर सकती है। यह तभी संभव होगा जब ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण के भाव जागृत हो। जितना भक्ति के तत्वों को प्राप्त करोगे जीवन मे उतना आनंद प्राप्त होगा। यह आध्यात्मिक विचार मंडी धर्मशाला में नवनिधि सामाजिक संस्था द्वारा आयोजित 108 श्रीमद भागवत महोत्सव में भागवताचार्य पं. प्रदीप मिश्रा ने व्यक्त करते हुए कहा कि कुसंगति की प्रगति जीवन में विक्रति पैदा करती है और सत्संग जीवन को श्रेष्ठ बना देता है। गाय का दूध पियोगे तो शरीर निर्मल होगा मगर जिस स्थान का अन्न जल ग्रहण करोगे तो उस स्थान की प्रकृति अनुरूप आपके आचार विचार हो जाएगें। युद्ध वहीं होता है जहां भाई का भाई दुश्मन हो, इसीलिये महाभारत का युद्ध कुरूक्षेत्र में हुआ था। भूमि तत्व का दोष होने के कारण अप्रिय घटना घटित होती है। कथा में गोवर्धन पर्वत की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि मनुष्य ने अपने जीवन में कम से कम एक बार गोवर्धन परिक्रमा करना चाहिये। 56 भोग सिर्फ ठाकुरजी को ही लगता है, जब भगवान ने सात दिनों तक गोवर्धन को अपनी उंगली पर धारण कर रखा था तब उनके लिये प्रतिदिन आए भोग को उन्होंने ग्रहण नहीं किया। आठवें दिन भोग आया तब कृष्ण ने सात दिनों के भोग से आठवें दिन का भोग ग्रहण किया था तब से 56 भोग भगवान को लगाया जाता है।
भारत के चार संतों का अंतिम संस्कार एवं समाधि नहीं हुई जिनमें मीरा बाई, रामकृष्ण परमहंस, चैतन्य महाप्रभु एवं संत तुकाराम थे। ये सशरीर प्रभु तत्व में विलिन हो गए। आपने अनेक सुयुक्ति बताते हुए कहा कि भगवान को प्रसाद में गोंद नहीं चढ़ाना चाहिये, भगवान के सामने जल को ढंक कर रखना चाहिये। पूजा घर में शंख को पानी से भर कर रखना चाहिये, गरूढ घंटी का मुख भगवान की तरफ होना चाहिये, घर में अधिक परेशानी आए तो पीपल के वृक्ष के नीचे पीपल के पत्ते में दूध रखकर पिपलाद का नाम लेकर चढ़ाना चाहिये। भागवत प्रसंग में भगवान श्रीकृष्ण के साथ गोपियों के महारास का वर्णन किया गया। सुंदर झांकी में श्रीकृष्ण की भूमिका में अनु अग्रवाल ने गोपियो के साथ रास कर सबका मन मोह लिया। श्रीकृष्ण रूकमणि विवाह के वर्णन के साथ सुंदर झांकी प्रस्तुत की गई जिसमें तरूण अग्रवाल श्रीकृष्ण बने एवं सोनिया अग्रवाल ने रूकमणि बनकर सुंदर अभिनय किया। श्रीमद भागवत की पूजा नवनिधि सामाजिक संस्था, माहेश्वरी महिला मण्डल, जायसवाल महिला मण्डल, मारवाडी महिला मण्डल द्वारा की गई।
कथा में म.प्र. शासन के पर्यटन संस्कृति मंत्री सुरेन्द्र पटवा, सोनकच्छ विधायक राजेन्द्र वर्मा, विक्रमसिंह पवार, आनंद कोठारी, गोपीकृष्ण व्यास, राजेश यादव ने गुरूजी का स्वागत करते हुए व्यासपीठ से आशीर्वाद प्राप्त किया। आरती में सांसद प्रतिनिधि राजीव खंडेलवाल, राखी झालानी, विनिता व्यास, खाटू श्याम सेवा समिति, अग्रवाल महिला प्रगति मण्डल सहित अनेक सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी उपस्थित थे।
22 मई को कथा का समय प्रात: 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक रहेगा उसके पश्चात भंडारे का आयोजन होगा।

Post Author: Vijendra Upadhyay

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