सुरेश जायसवाल, देवास
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सर छोटूराम स्वाधीनता सेनानी तथा राजनेता थे।
गरीबों के बंधु के रूप में वह ‘रहबर ए आज़म’ कहे जाते थे। सर चौधरी छोटूराम शारीरिक रूप से छोटे कद के व्यक्ति थे, लेकिन उनके व्यक्तित्व का कद बहुत बड़ा था।
वे दीन दु:खियों और गरीबों के बंधु, अंग्रेज़ हुकूमत के लिये ‘सर’ तो किसानों के लिये मसीहा थे। चौधरी छोटूराम का वास्तविक नाम राय रिछपाल था,
अपने भाइयों में वे सबसे छोटे थे,
इसलिए परिवार में सभी प्यार से उन्हें ‘छोटू’ कहकर पुकारते थे,
फिर स्कूल के रजिस्टर में भी जाने-अंजाने इनका नाम छोटूराम ही दर्ज कर लिया गया और यहीं से बालक राय रिछपाल का वास्तविक नाम छोटूराम हो गया।
सर छोटूराम का जन्म 24 नवम्बर, 1881 में झज्जर, हरियाणा के एक छोटे से गांव गढ़ी सांपला में बहुत ही साधारण परिवार में हुआ था। झज्जर उस समय रोहतक ज़िला, पंजाब का ही अंग था।
उनके दादा जी रामरत्नद के पास 10 एकड़ बंजर ज़मीन थी। छोटूराम जी के पिता सुखीराम कर्जे और मुकदमों में बुरी तरह से फंसे हुए थे।
स्वाधीनता संग्राम में सक्रियता////
चौधरी छोटूराम ने राष्ट्र के स्वाधीनता संग्राम में डटकर भाग लिया।
1916 में पहली बार रोहतक में कांग्रेस कमेटी का गठन किया गया और छोटूराम रोहतक कांग्रेस कमेटी के प्रथम प्रधान बने।
सारे ज़िले में चौधरी छोटूराम का आह्वान अंग्रेज़ हुकूमत को कंपकपा देता था।
चौधरी साहब के लेखों और कार्य को अंग्रेज़ों ने बहुत भयानक करार दिया।
फलस्वरूप रोहतक के डिप्टी कमिश्नर ने तत्कालीन अंग्रेज़ी सरकार से चौधरी छोटूराम को देश-निकाले की सिफारिश कर दी।
पंजाब सरकार ने अंग्रेज़ हुकमरानों को बताया कि चौधरी छोटूराम अपने आप में एक क्रांति हैं, उनका देश निकाला गदर मचा देगा, रक्त की नदियां बह जायेंगी। किसानों का एक-एक बच्चा चौधरी छोटूराम हो जायेगा। अंग्रेज़ों के हाथ कांप गए और कमिश्नर की सिफारिश को रद्द कर दिया गया।
राजनीतिक गतिविधियाँ
सन 1925 में राजस्थान में पुष्कर के पवित्र स्थान पर चौधरी छोटूराम ने एक ऐतिहासिक जलसे का आयोजन किया।
सन 1934 में राजस्थान के सीकर शहर में किराया कानून के विरोध में एक अभूतपूर्व रैली का आयोजन किया गया, जिसमें 10,000 जाट किसान शामिल हुए।
यहां पर जनेऊ और देसी घी दान किया गया,
महर्षि दयानन्द के
सत्यार्थ प्रकाश के श्लोकों का उच्चारण किया गया।
इस रैली से चौधरी छोटूराम भारत की राजनीति के स्तम्भ बन गए।
पंजाब में रौलट एक्ट के विरुद्ध आन्दोलन को दबाने के लिए मार्शल लॉ लागू कर दिया गया था, जिसके परिणामस्वरूप देश की राजनीति में एक अजीबोगरीब मोड़ आ गया।
सामाजिक कार्य//
सन 1905 में छोटूराम ने कालाकांकर के राजा रामपाल सिंह के सह-निजी सचिव के रूप में कार्य किया था
और यहीं 1907 तक अंग्रेज़ी के ‘हिन्दुस्तान’ समाचार पत्र का संपादन किया।
यहां से छोटूराम आगरा में वकालत की डिग्री करने आ गए। झज्जर ज़िले में जन्मा यह जुझारू युवा छात्र सन 1911 में आगरा के जाट छात्रावास का अधीक्षक बना।
1911 में उन्होंने लॉ की डिग्री प्राप्ते की।
यहां रहकर छोटूराम ने मेरठ और आगरा डिवीजन की सामाजिक दशा का गहन अध्ययन किया। 1912 में आपने चौधरी लालचंद के साथ वकालत आरंभ कर दी और उसी साल जाट सभा का गठन किया।
महत्त्वपूर्ण योगदान///
गिरवी जमीनों की मुफ्त वापसी एक्ट, 1938
यह कानून 9 सितंबर, 1938 को प्रभावी हुआ।
इस अधिनियम के जरिए जो जमीनें 8 जून, 1901 के बाद कुर्की से बेची हुई थीं तथा 37 सालों से गिरवी चली आ रही थीं, वह सारी जमीनें किसानों को वापिस दिलवाई गईं।
इस कानून के तहत केवल एक सादे काग़ज़ पर ज़िलाधीश को प्रार्थना-पत्र देना होता था।
इस कानून में अगर मूलराशि का दोगुना धन साहूकार प्राप्त कर चुका है तो किसान को जमीन का पूर्ण स्वामित्व दिये जाने का प्रावधान किया गया।??
कृषि उत्पाद मंडी अधिनियम, 1938
यह अधिनियम 5 मई, 1939 से प्रभावी माना गया।
इसके तहत नोटिफाइड एरिया में मार्किट कमेटियों का गठन किया गया।
एक कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार किसानों को अपनी फसल का मूल्य एक रुपये में से 60 पैसे ही मिल पाता था।
अनेक कटौतियों का सामना किसानों को करना पड़ता था। आढ़त, तुलाई, रोलाई, मुनीमी, पल्लेदारी और कितनी ही कटौतियां होती थीं।
इस अधिनियम के तहत किसानों को उसकी फसल का उचित मूल्य दिलवाने का नियम बना। आढ़तियों के शोषण से किसानों को निजात इसी अधिनियम ने दिलवाई।??
व्यवसाय श्रमिक अधिनियम, 1940
यह अधिनियम
11 जून, 1940 को लागू हुआ। बंधुआ मजदूरी पर रोक लगाए जाने वाले इस कानून ने मजदूरों को शोषण से निजात दिलाई। सप्ताह में 61 घंटे, एक दिन में 11 घंटे से ज्यादा काम नहीं लिया जा सकेगा।
वर्ष भर में 14 छुट्टियां दी जाएंगी। 14 साल से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी नहीं कराई जाएगी। दुकान व व्यवसायिक संस्थान रविवार को बंद रहेंगे। छोटी-छोटी गलतियों पर वेतन नहीं काटा जाएगा।
जुर्माने की राशि श्रमिक कल्याण के लिए ही प्रयोग हो पाएगी।
इन सबकी जांच एक श्रम निरीक्षक द्वारा समय-समय पर की जाया करेगी।???
कर्जा माफी अधिनियम, 1934
यह क्रान्तिकारी ऐतिहासिक अधिनियम
दीनबंधु चौधरी छोटूराम ने
8 अप्रैल, 1935 में किसान व मजदूर को सूदखोरों के चंगुल से मुक्त कराने के लिए बनवाया।
इस कानून के तहत अगर कर्जे का दुगुना पैसा दिया जा चुका है तो ऋणी ऋण-मुक्त समझा जाएगा।
इस अधिनियम के तहत कर्जा माफी बोर्ड बनाए गए,
जिसमें एक चेयरमैन और दो सदस्य होते थे।
दाम दुप्पटा का नियम लागू किया गया।
इसके अनुसार दुधारू पशु, बछड़ा, ऊंट, रेहड़ा, घेर, गितवाड़ आदि आजीविका के साधनों की नीलामी नहीं की जाएगी।
इस कानून के तहत अपीलकर्ता के संदर्भ में एक दंतकथा बहुत प्रचलित हुई थी कि लाहौर हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश सर शादीलाल से एक अपीलकर्ता ने कहा कि मैं बहुत गरीब आदमी हूं, मेरा घर और बैल कुर्की से माफ किया जाएँ।
तब न्यायाधीश सर शादीलाल ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि एक छोटूराम नाम का आदमी है, वही ऐसे कानून बनाता है,
उसके पास जाओ और कानून बनवा कर लाओ।
अपीलकर्ता चौधरी छोटूराम के पास आया और यह टिप्पणी सुनाई।
छोटूराम ने कानून में ऐसा संशोधन करवाया कि उस अदालत की सुनवाई पर ही प्रतिबंध लगा दिया और इस तरह चौधरी साहब ने इस व्यंग्य का इस तरह जबरदस्त उत्तर दिया।?
सन 1942 में सर सिकन्दर ख़ान का देहांत हो गया और खिज्र हयात ख़ान तीवाना ने पंजाब की राजसत्ता संभाली।
उधर मुहम्मद अली जिन्ना
ने 1944 में लाहौर में सर खिज्र हयात पर दबाव डाला कि चौधरी छोटूराम का दबदबा कम किया जाए और पंजाब की यूनियनिस्ट सरकार का लेबल हटाकर इसे मुस्लिम लीग का नाम दिया जाए।
क्योंकि सर छोटूराम अबुल कलाम आज़ाद की नीतियों के समर्थक थे, मुहम्मद अली जिन्ना और चौधरी छोटूराम सीधे टकराव की स्थिति में आ गए।
अब तो चौधरी छोटूराम की पार्टी के सामने मुस्लिम लीग और कांग्रेस दोनों ही चुनौती बन गई थीं।
लेकिन पहले और दूसरे महायुद्ध में चौधरी छोटूराम द्वारा कांग्रेस के विरोध के बावजूद सैनिकों की भर्ती से अंग्रेज़ बड़े खुश थे। अंग्रेज़ों ने हरियाणा के इलाके की वफादारियों से खुश होकर हरियाणा निवासियों को वचन दिया कि भाखड़ा पर बांध बनाकर सतलुज नदी का पानी हरियाणा को दिया जाएगा।
सर छोटूराम ने ही
भाखड़ा बांध का प्रस्ताव रखा था।
सतलुज के पानी का अधिकार बिलासपुर के राजा का था। झज्जर के महान सपूत ने बिलासपुर के राजा के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।?
मृत्यु//
सन 1924 से 1945 तक पंजाब की राजनीति के अकेले सूर्य चौधरी छोटूराम का
9 जनवरी, 1945 को देहावसान हो गया और एक क्रांतिकारी युग का यह सूर्य डूब गया।??
सर छोटूराम स्मारक संग्रहालय राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले के ‘संगरिया’ नामक स्थान पर स्थित है।
इसकी स्थापना स्वामी केशवानंद ने थी।
स्वामी जी द्वारा इसकी स्थापना वर्ष 1938 ई. में की गई थी।
इस संग्रहालय में देश-विदेश की कई महत्त्वपूर्ण दुर्लभ वस्तुओं का संग्रह है।???
स्थापना///
राजस्थान के इस संग्रहालय की स्थापना स्वामी केशवानंद द्वारा की गई थी
स्वामी जी ने शिक्षा यात्रा के दौरान प्राप्त हुई दो प्रस्तर प्रतिमाओं को संगरिया स्कूल में एक कमरे में रखवाया था।
लोग इन्हें बड़ी उत्सुकता के साथ देखने लगे।
लोगों की उत्सुकता के कारण स्वामी जी ने देश के संग्रहालयों के दर्शन किए और संगरिया में संग्रहालय की नींव रखी।
नामकरण तथा संग्रह//
केशवानंद ने संग्रहालय में पूरे देश ही नहीं, बल्कि नेपाल, चीन, तिब्बत, श्रीलंका व अन्य देशों से संग्रहालय की दुर्लभ वस्तुओं को प्राप्त किया और देखते ही देखते संगरिया में एक विशाल संग्रहालय बन गया।
स्वतंत्रता के पूर्व के संयुक्त पंजाब के किसान नेता सर छोटूराम के संगरिया आगमन के उपलक्ष्य में इसका नाम “सर छोटूराम स्मारक संग्रहालय ग्रामोत्थान विद्यापीठ” कर दिया गया।???
सालों पुराने संग्रहालय में नेपाल की धातु प्रतिमाएं,
चीन के बर्तन, तिब्बत के बौद्ध मठों में काम आने वाली वस्तुएं, हाथी दांत से निर्मित श्रृंगार सामग्री, युद्ध में पहने जाने वाले कवच, प्राचीन हथियार, ताम्र वस्तुएं सहित सैकड़ों प्राचीन और ऐतिहासिक वस्तुएं हैं।
इसके अलावा स्वामी केशवानंद के जीवन से संबंधित वस्तुएं भी यहाँ देखी जा सकती हैं।??
सरकारी अवहेलना///
सरकार द्वारा ध्यान नहीं देने व किसी तरह का सहयोग नहीं मिलने से सर छोटूराम स्मारक संग्रहालय का विकास थम-सा गया है।
हनुमानगढ़ ज़िले में जब ऐतिहासिक धरोहरों का ज़िक्र होता है तो भले ही इस संग्रहालय का नाम आता है,
लेकिनपर्यटन की दृष्टि से यह आज भी पिछड़ा है।
वर्तमान में ग्रामोत्थान संस्थान ही इसकी देखभाल कर रही है।
किंतु जो मुकाम इसे मिलना चाहिए था, वह उससे कोसों दूर है।
“तुम अगर बिछड़े रहो तो चंद कतरे ही फकत
अगर मिल जाओ तो बिफरा हुआ तूफान हो तुम”
???
महान समाज सुधारक,
रहबर-ए-आजम,
गरीबों और किसानों के मसीहा, भारत माता के महान् सेवक
सर छोटूराम जी को उनके जन्मदिवस पर शत_शत_नमन।
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