गोपथ ब्राह्मण में ओंकार की महिमा:-
गोपथ ब्राह्मण में ओ३म् की महिमा विषेश ध्यान देने योग्य है।यथा श्लोक (गो० 1/22) जिसके अर्थ इस प्रकार हैं, कि जो ब्रह्मोपासक इस अक्षर ‘ओ३म्’ की जिस किसी कामना पूर्ति की इच्छा से तीन रात्रि उपवास रखकर तेज-प्रधान पूर्व दिशा की ओर मुख करके, कुशासन पर बैठकर सहस्र बार जाप करता है उसके सब मनोरथ (शुभ कामनाएं) सिद्ध होते हैं।
इस कथन में जप करने के विधान का उपदेश भी किया गया है।
आजकल प्रायः सभी जिज्ञासु जप करने की विधि जानना चाहते हैं,उनके लिए यह सुगम विधि है।
*?प्रश्नोपनिषद में ओंकार की महिमा:-*
एक समय शिवि के पुत्र सत्यकाम ने पिप्पलाद ऋषि से पूछा-हे भगवन् ! मनुष्यों में वह व्यक्ति जो प्राण के अन्त तक ओंकार का ध्यान करता है, उसकी क्या गति होती है?
पिप्पलाद ऋषि ने उत्तर दिया कि जो उपासक उस सर्वव्यापक परमेश्वर का ‘ओ३म्’ शब्द द्वारा ध्यान करता है, वह ब्रह्म को प्राप्त करता है। उस सर्वज्ञ अन्तर्यामी परमात्मा को सर्वसाधारण ओंकार के द्वारा प्राप्त होते हैं।
जो साधक त्रिमात्र ओम् का ध्यान करे, वह तेज में सूर्यलोक से सम्पन्न हो जाता है, एकमात्र की उपासना करने वाला पृथ्वी लोक में, द्विमात्र की उपासना करने वाला सोमलोक अर्थात् चन्द्रलोक में और त्रिमात्र की उपासना करने वाला सूर्यलोक में पहुंचता है।सूर्यलोक ओर चन्द्रलोक दोनों कही बाहर नहीं,अपने भीतर ही हैं।
ऐसे व्यक्ति का जीवन सूर्य की ज्योति के समान जगमगाता है।ज्योतिर्मयी हो जाता है।।
जैसे सांप केंचुली से मुक्त हो जाता है ।
इसी क्रम में पिप्पलाद ऋषि ओंकार की एकमात्र, द्विमात्र, त्रिमात्र उपासना का बखान करते हैं।
एकमात्र ओंकार का अर्थ है, ओंकार की कुछ कुछ उपासना, द्विमात्र का अर्थ है बहुत काफी उपासना, त्रिमात्र का अर्थ है-ओंकार की उपासना में ही रत हो जाना, मग्न हो जाना।
पृथ्वीलोक, चन्द्रलोक तथा सूर्यलोक भी मानसिक स्थितियों को सूचित करते हैं। पिप्पलाद ऋषि इन तीनों लोकों का संकेत दे रहे हैं।
पृथ्वीलोक का अर्थ है भौतिक सुख लाभ; चन्द्रलोक का अर्थ है मानसिक शान्ति; सूर्यलोक का अर्थ है-आध्यात्मिक प्रकाश।
अतः ऋक्,यजु,साम भी ओंकार की त्रिमात्राओं की तरह त्रया-विद्या के प्रतिनिधि हैं।
ऋक, यजु, साम को ज्ञान, कर्म तथा भक्ति का प्रतीक भी समझा जा सकता है।
इन शब्दों का शाब्दिक अर्थ न लेकर अर्थवादपरक अर्थ लेना चाहिये।
अर्थात् जब किसी बात की महिमा का बखान करना हो, तब कोई अच्छी बात कह दी जाती है,जिसका अभिप्रायः सिर्फ पढ़ने सुनने वाले को प्रेरणा देना होता है।