बेटे ने ठुकराया तो बहु बनी बेटा

नागेश्वर सिंह बघेल, देवास
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पुत्र जब कुपत्र निकला जाए और बहू, पुत्र बन जाए तो यह समाज के लिए बहुत ही अनुकरणीय है ! कु-पुत्र ने दूसरी महिला के चक्कर में बृद्ध पिता से किनारा कर लिया, लेकिन पुत्रवधू ने ससुर की बेटे की तरह सेवा कर रिश्तों की दिल छू लेने वाली कहानी लिख दी।
करनाल की यह घटना देश की पहली घटना होगी कि पुत्रवधू ने ससुर की अर्थी को कंधा दिया, मुखाग्नि दी। करनाल के न्यू चार चमन निवासी नीतू अरोड़ा अपने ससुर मंगतराम की पिछले दस वर्ष से सेवा कर रही थीं। वजह यह थी कि मंगतराम का इकलौता बेटा और नीतू का पति हर्षदीप अपने पिता, पत्नी और दो बेटियों को छोड़कर दूसरी महिला के साथ रहने चला गया। अब अस्थियों के विर्सजन और रस्म पगड़ी की तैयारी कर रही है।

नीतू ने तय किया वह बुजुर्ग को अकेला और निराश्रित छोड़कर नहीं जाएगी। वहीं रहेगी, उनके साथ, बेटा बन कर। वह अपनी दो बेटियों के साथ बुजुर्ग ससुर के साथ ही रहीं। अपने ससुर के लिए वह बेटा बन गईं। 80 वर्षीय बुजुर्ग ससुर मंगतराम का गत दिवस लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। अर्थी उठाते समय नीतू खुद आगे आई और ससुर की अर्थी को कंधा दिया। पिता तुल्य ससुर के चले जाने से वह गमजदा थीं। आंखों में आंसू थे, लेकिन वह पूरी मजबूती से अर्थी को लेकर श्मशान घाट पहुंची। उन्हें मुखाग्नि दी और अंतिम संस्कार की हर परंपरा निभाई ।

Post Author: Vijendra Upadhyay

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