विरोध के बाद भी मिला टिकिट सोलंकी को


– भाजपा के कई नेताओं ने सोलंकी के विरोध में दिल्ली तक किया था पत्र व्यवहार

हर अखाड़े का अपना अंदाजा होता है। अपने नियम कायदे होते है। बस एक अखाड़ा ऐसा होता है जिसका कोई नियम कायदा नही होता हैं वह है राजनितिक अखाड़ा…
जिसमे कल जो आपके साथ था आज वह आपके विपरीत हो जाता हैं। वही जो कल आपके विपरीत थे वही आज आपका संगा हो जाता हैं।

देवास की राजनीति का परिदृश्य भी कुछ ऐसा ही है। 2019 लोकसभा चुनाव में एक ऐसे व्यक्ति का उदय हुआ जो देवास की राजनीति खास कर भाजपा में उथल पुथल करने जैसा था। शुरुवाती दौर में सब उसके थे, अब कई बेगाने हो गए। और जो आज साथ है वह कल और किसी के साथ थे।
हा हम बात कर रहे है देवास शाजापुर क्षेत्र के सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी की। लोकसभा 2019 के चुनाव में एकदम नया चेहरा। जज की नौकरी छोड़ संघ के कहने पर चुनाव लडा और भारीमतों से विजयी भी हुए। उस समय वह सबके करीबी रहे। सभी नेताओं ने उनके चुनाव प्रचार में भरपूर साथ दिया। उनकी कार्यशैली के तरीके से आज कई बड़े नेता अब दूर हो गए है।

लोकसभा चुनाव-2024 में उम्मीदवारों को लेकर भाजपा की केंद्रीय समिति की बैठक दिल्ली में शुक्रवार 2 मार्च 2024 को सम्पन्न हुई। बैठक के बाद भाजपा ने मप्र से 24 उम्मीदवारों के नामों की सूची जारी कर दी। शेष बची 5 सीटों को अभी होल्ड किया गया है। वही देवास सीट पर वर्तमान सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी पर पुनः भरोसा जताते हुए उन्हें प्रत्याशी बनाया गया है। टिकिट मिलने से पहले चर्चाओं का बाजार काफी गर्म था और अन्य नाम भी चर्चाओं में थे। दूसरी और सोलंकी को पुनः टिकिट ना मिले इसको लेकर भी आलाकमान तक पत्र व्यवहार किये गए थे। लेकिन इन सबके बावजूद भाजपा आलाकमान ने सोलंकी के नाम पर पुनः मोहर लगाई है।

सोलंकी अपनी कार्यशैली और हिन्दूवादी छवि के लिए पहचाने जाते है। यही मुख्य कारण रहा है कि उन्हें उनकी ही पार्टी के कुछ लोग आसानी से पचा नही पाते है वे हर मुद्दे पर खुल कर बोलते है और अपनी राजनीति अपने अनुसार ही करते है किसी का भी हस्तक्षेप पसंद नही करते है। उनके खुलकर बोलने के कारण ही पार्टी में लगातार उनका विरोध होता रहा। इन सबके बावजूद सोलंकी एक बार पुनः टिकिट लेकर आये है जो बड़ी बात है। टिकिट मिलने के बाद सांसद कार्यालय पर समर्थकों ने आतिशबाजी की और मिठाई बांटी।

Post Author: Vijendra Upadhyay