ईश्वर प्राप्ति का सुगम साधन है कीर्तन-विश्वदेवानंद अवधूत


देवास। आनंद पूर्णिमा के उपलक्ष पर आयोजित आनंदनगर पुरुलिया में आनंद मार्ग का त्रिदिवसीय धर्म महासम्मेलन 2 से 4 जून 2023 तक सम्पन्न होगा। प्रथम दिन 2 जून को प्रातः पांचजन्य से शुभारंभ हुआ।जिसमें देश व विदेश के दूरदराज से आनंदमार्गी साधक बड़ी संख्या में आ चुके हैं। आनन्द मार्ग प्रचारक संघ देवास के भुक्ति प्रधान दीपसिंह तंवर एवं डी एस आचार्य शांतव्रतानंद अवधूत ने बताया कि आज श्रद्धेय पुरोधा प्रमुख आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत ने अपने आध्यात्मिक उद्बोधन में कहा कि ईश्वर की प्राप्ति के सुगम साधन कीर्तन है। कीर्तन, भक्ति और ध्यान का अद्वितीय माध्यम है, जिसके माध्यम से एक व्यक्ति ईश्वर के साथ गहरा संवाद स्थापित कर सकता है। कीर्तन की शक्ति व्यक्ति को अविरल ध्यान, स्थिरता और आनंद की अनुभूति देती है। यह एक अद्वितीय विधि है जो हमें मन, शरीर और आत्मा के संगम के अनुभव का आदर्श दर्शाती है। कीर्तन से हम अपने मन को संयमित कर सकते हैं और इंद्रियों के विषयों के प्रति वैराग्य की प्राप्ति कर सकते हैं। कीर्तन एक उच्चतम और श्रेष्ठतम भावनात्मक अभ्यास है, जो हमें अशांति, तनाव और चिंता से मुक्ति दिलाता है। यह हमें ईश्वर के साथ गहरे संबंध बनाने और अपने आन्तरिक शक्ति को प्रकट करने में सहायता कराता है, जो हमारे जीवन को सुखी और समृद्ध बनाता है।
आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत ने संवाद को संपन्न करते हुए कहा कि आचरण में कीर्तन को स्थायी रूप से शामिल करने से हम सामाजिक संबंधों में सुधार, आध्यात्मिक अभिवृद्धि और सामूहिक एकाग्रता का विकास कर सकते हैं। यह हमें ईश्वरीय प्रेम, सहानुभूति और सेवा की भावना से प्रेरित करता है और हमारे जीवन में शांति, समृद्धि और समृद्धि की स्थापना करता है। कीर्तन हमारे जीवन को धार्मिकता, आध्यात्मिकता और एकाग्रता के साथ भरता है।आचार्य हृदयेश ब्रह्मचारी ने बताया कि धर्म महासम्मेलन में आध्यात्मिक लाभ लेने के देवास, इंदौर, उज्जैन, सीहोर,भोपाल, होशंगाबाद आदि जिलो के मार्गीगण कार्यक्रम में उपस्थित हुए हैं।उक्त जानकारी संस्था के हेमेन्द्र निगम ने दी।

Post Author: Vijendra Upadhyay