मण्डी धर्मशाला में धूमधाम से सम्पन्न हुआ कृष्ण रूकमणी विवाह


देवास। स्थानीय मण्डी धर्मशाला मे चल रही 108 भागवत कथा के अंतर्गत व्यास पीठ से पं. मयंक व्यास ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुल में सभी बाल लीलाओं के समापन के पश्चात मथुरा कें लिए प्रस्थान किया। जहां उन्होंने अपने मामा कंस का वध किया एवं कंस की कैद से अपने माता पिता वासुदेव एवं देवकी माता को छुड़ाया। भगवान मथुरा के राजा बनने के बाद कंस के ससुर जरासंध द्वारा कंस वध का बदला लेने के लिए मथुरा पर आक्रमण करने के कारण भगवान अपने सभी साथियों एवं मथुरा वासियों के साथ द्वारका चले गये। कथा पांडाल में आशीष अग्रवाल एवं ईशा अग्रवाल भगवान कृष्ण एवं माता रूकमणि का रूप धारण कर पधारे तो पूरा जन समूह श्रीकृष्ण एवं रूकमणि के जयकारों से गूंज उठा, पूरा वातावरण कृष्णमय हो गया। कृष्ण रूकमणि के सुंदर रूप को निहारकर सभी भक्त निहाल हो गए। माता रूकमणि ने भगवान श्रीकृष्ण के गले में वरमाला डालकर उनका वरण किया तो उपस्थित जनसमुदाय झूमकर नाचने लगा। श्रीकृष्ण रूकमणि के विग्रह रूप के दर्शन की झांकी सजाई गई। भगवान को फूलों से ढ़ंक दिया गया। पं. सूरज शास्त्री व पं. अशोक शास्त्री के मार्गदर्शन में चल रही 108 भागवत को भिन्न भिन्न प्रकार की सामग्री दक्षिणा में दी । इस अवसर पर अनिल सिकरवार, चेतन राठौर, विजेन्द्र उपाध्याय ने आरती की। कथा आयोजक मांगीलाल अग्रवाल ने भक्तजनों सेे आग्रह किया कि अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होकर 108 भागवत का लाभ लें।

Post Author: Vijendra Upadhyay