राम द्रोही एवं देशद्रोही क्षमा के पात्र नहीं- साध्वी सत्यप्रिया दीदी


देवास। भगवान से प्रीति ऐसी होना चाहिए जैसे मेले में मां बिछड़ जाए तोे बच्चे को मेले की सब वस्तुु अप्रिय लगती है, उसे सिर्फ मां चाहिए। संसार में ऐसी प्रीत प्रभु के प्रति हो तो उस पर प्रभु की कृपा सुनिश्चित होती है। राम कथा में आपने जयंत का वर्णन करते हुए कहा कि माता सीता के पैरों पर चोंच मारने के कारण उसे ब्रह्माण्ड में किसी भी देवता ने शरण नहीं दी। आखिर में प्रभु राम ने उसे क्षमा किया। राम द्रोही और देश द्रोही चराचर में क्षमा के पात्र नहीं है। यह विचार चैत्री नवरात्रि पर कैलादेवी मंदिर में हो रही श्रीराम कथा के विश्रांति दिवस पर साध्वी सत्यप्रिया ने व्यक्त करते हुए कहा कि जीव जगत पर नहीं जगदीश्वर पर संदेह करता है। संसार में जिसे भी जगदीश्वर पर संदेह हो उसे गुरू चरण में जाकर सही मार्ग मिल सकता है। कथा के दौरान मां अनसुइया के पतिव्रत धर्म की व्याख्या करते हुए आपने कहा कि पतिव्रता पत्नी की परीक्षा अगर देवता भी ले तो वो निष्प्रभावी हो जाती है। माता अनसुइया ने माता सीता को पतिव्रत धर्म का पालन एवं स्त्री धर्म का ज्ञान कराया। पति की सेवा से परमपिता की प्राप्ति होती है। इसके अनेक शास्त्रोक्त उदाहरण प्रस्तुत करते हुए मार्मिक रूप से चित्रण किया। आपने कहा कि वर्तमान में नारियों के स्वरूप को देखकर लगता है हमारी संस्कृति विनाश की और जा रही है। जिसके परिवार में संस्कार और संस्कृति नहीं है वह परिवार हमेशा दुखी रहता है। वन गमन के दौरान प्रभु श्रीराम ने सुतीक्षण से भेंट की। अगस्त ऋषि से भेंट कर आगे के मार्ग को प्रशस्त किया और पंचवटी गए। पंचवटी उजड़ी हुई थी जब ज्ञान रूपी राम भक्ति रूपी सीता और वैराग्य रूपी लक्षमण पहुंचे तो पंचवटी ने सौंदर्य का रूप धारण कर लिया। ऐसे ही हमारा शरीर पंचवटी हैं इस पंचतत्व में जब ज्ञान, भक्ति और वैराग्य का समावेश हो जाए तो यह पंचतत्व से बना हमारा शरीर पवित्र होकर भक्ति की चेतना को जागृत कर पाएगा। रामदास हनुमान जी से मिलन का बहुत ही सुंदर चित्रण करते हुए आपने कहा कि हनुमान जी कलयुग के देवता है। जिस घर में प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ और शनिवार को सुंदरकांड होता है उस घर में वास्तु दोष दूर होने के साथ साथ हनुमान जी की सदैव कृपा रहती है। हनुमान जी द्वारा माता सीता का पता लगाना, लंका पहुंच कर रावण के अहंकार को नष्ट करने का वर्णन, राम रावण यु़द्ध का वर्णन करते हुए, मानस की चौपाई के साथ अनेक प्रसंगो का सजीव चित्रण किया। राम राज्य तिलक की सुंदर झांकी प्रस्तुत की गई।
कथा में बतौर अतिथि देवास विधायक गायत्री राजे पवार, भाजपा नेता बहादुर मुकाती, भरत चौधरी, गणेश पटेल, श्रीराम शरणम के प्रवचनकार इंदरसिंह नागर, लोकसभा कांग्रेस प्रत्याशी राजेन्द्र मालवीय, चंद्रपालसिंह सोलंकी, अजय अग्रवाल, पीएन तिवारी, मनोहर कराड़ा, राजेश पटेल, वीणा महाजन, मधु शर्मा, मिथलेश सोनी, मोहन श्रीवास्तव सहित बड़ी संख्या में महिल पुरूष उपस्थित थे। व्यासपीठ की पूजा मन्नुलाल गर्ग, दीपक गर्ग, अनामिका गर्ग, हितेष गर्ग, प्राची गर्ग, देवकृष्ण व्यास, रमण शर्मा, राम बाबू शर्मा, मोहन श्रीवास्तव, गरिमा श्रीवास्तव, आदि ने की। कथा का संचालन चेतन उपाध्याय ने किया तथा दुर्गेश अग्रवाल ने नगर की ओर से कथा संयोेजक रायसिंह सेंधव ने समिति की ओर से तथा जयेश गर्ग ने परिवार की और से आभार माना।

Post Author: Vijendra Upadhyay