माता अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी समारोह समिति ने किया पुण्यतिथि पर आयोजन


– सनातनी विचारों को आत्मसात करते हुए हमें आगे बढना चाहिए- मुख्य वक्ता सुश्री विनीता धर्म
देवास।
 सैकड़ों मंदिरों का जीर्णोद्धार जिन्होंने कराया, महिलाओं को आत्मसम्मान के साथ रहना सिखाया, युवाओं को राष्ट्र व समाज के लिए जीना बताया, जिन्होंने हिंदू समाज को सचेत रहने का आह्वान किया। संस्कृति और पर्यावरण के लिए समाज को जगाया। ऐसी लोकमाता माता अहिल्याबाई होलकर की पुण्यतिथि आज हमें मनाते हुए गर्व की अनुभूति हों रही है। आधुनिकता के इस दौर में जरूरी नहीं है कि हम फैशन को ज्यादा महत्व देंते हुए हम आगे बढ़े और सनातनी विचारों को आत्मसात करते हुए भी आगे बढ़ सकते हैं। इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हमें देखने को आते हैं। जब संस्कृति पर आघात हुए फिर भी यहां के मानव समाज ने अपनी संस्कृति, परंपरा को कायम रखते हुए विजय पाई। यह बात लोकमाता अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी समारोह समिति द्वार आयोजित संगोष्ठी में इंदौर से पधारी विनीता धर्म ने अपने मुख्य वक्ता के रूप में कही।

माता अहिल्याबाई की पुण्यतिथि के अवसर पर मल्हार स्मृति मंदिर सभा हाल में उन्होंने माता अहिल्याबाई जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए आगे कहा कि संस्कारों के बल से ही हम दुनिया जीत सकते है। 1725 से 1795 के काल खंड के बारे में उन्होंने विस्तार से बताया। युवाओं को अपनी संस्कृति को आत्मसात करते हुए अध्ययन करना चाहिए। भारत महान स्त्री पुरुषों की भूमि है। अहिल्याबाई होल्कर का व्यक्तित्व व कृतित्व उन्हें विश्व की श्रेष्ठतम महिलाओं की पंक्ति में अग्रणी बनाता है। जिनका भारत के इतिहास और जनमानस पर विशेष प्रभाव रहा है। बाल्यावस्था के संस्कार ही मानव भविष्य का निर्माण करते हैं। यही संस्कार जीवन की विजय का मार्ग प्रशस्त करते हैं। किसे पता था चौंडी ग्राम जामखेड अहमदनगर में एक छोटी सी सौम्य, शांत, तेजवान बालिका मालवा के सूबेदार मल्हारराव को अपनी भक्ति व गायन से इस कदर प्रभावित कर देगी कि वह अपने पुत्र खंडेराव के विवाह के लिए मानकोजी के समक्ष प्रस्ताव रखने से भी नहीं हिचकिचाएंगे।बालिका के संस्कारों से प्रभावित मल्हारराव आश्वस्त थे,कि यह बालिका अपने संस्कारों, कुशल व्यवहार,सेवा भावना से सभी का मन जीत लेगी,हुआ भी यही। बालिका अहिल्याबाई में आदर्श भारतीय नारी के सभी गुण विद्यमान थे। अपने विवेक, नम्रता, सेवा, त्याग समझदारी से अहिल्याबाई ने भी शनै: शनै: राजकाज के कार्यों में रुचि लेना प्रारम्भ किया और युद्ध क्षेत्र में गोला बारूद, बंदूक, तोप और रसद की व्यवस्था की जिम्मेदारी उठाई।

कार्यक्रम में विशेष अतिथि संत श्री रामदास जी महाराज राम द्वारा देवास, अतिथि अजय गुप्ता जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग कार्यवाह थे। अध्यक्षता समिति के जिला संयोजक विजय गहलोत ने की। कार्यक्रम के प्रारंभ में देवी अहिल्याबाई जी के चित्र के समक्ष दीप प्रवजलन के साथ किया गया। कार्यक्रम में नगर के गणमान्य नागरिक, प्रबुद्धजन आदि उपस्थित थे। देवी अहिल्याबाई जी पर वर्षभर चलने वाले त्रिशताब्दी जयंती के उपलक्ष्य में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे। संचालन अमित राव पवार ने किया एवं आभार समिति के नगर सयोंजक दिनेश राठौर ने माना।

Post Author: Vijendra Upadhyay