देवी अहिल्याबाई होलकर और सावित्रीबाई फुले के आदर्शों को आत्मसात करें: वंदना माहौर
देवास। सामाजिक समरसता मंच देवास द्वारा पुण्यश्लोका देवी अहिल्याबाई होलकर की त्रिशताब्दि जन्मोत्सव वर्ष एवं महिला सशक्तिकरण की महान प्रणेता श्री सावित्री बाई फुले की जयंती के उपलक्ष्य में विक्रम सभा भवन में आयोजित संगोष्ठी कार्यक्रम में इंदौर से पधारी मुख्य वक्ता के रूप में श्रीमती वंदना माहौर ने कहा कि इंदौर के बाद देवी अहिल्याबाई ने अपनी राजधानी के रुप में महेश्वर को बनाया जहां उन्होंने भारत ही नही एशिया के सबसे सुंदर घाटों का निर्माण जब करवाया आज के टेक्नोलॉजी के युग के समय उस काल मे कार्य की सुविधाओं का अभाव था,अपने राज्य को बचाने के लिए उन्होंने अपनी कार्य की बुद्धि से युद्ध को टाल दिया विषम परिस्थितियों में वे साधरण स्त्री से रानी बनी ऐसी अनेको उदाहरण है। देवी अहिल्याबाई के जीवन के जिन्हें हम आत्मसात कर जीवन में आगे बढ़ सकते है।साथ उन्होंने सावित्री बाई फुले के जीवन पर भी प्रकाश डालते हुए कहा कि जब समाज के लोग शिक्षा का महत्व नही जानते थे तब उन्होंने महिला शिक्षा एवं सशक्तिकरण की अलख समाज मे जगाई इसके लिए उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ा समाज की बातों को सुनना पड़ा फिर भी उन्होंने हार नही मानी। आज हम इन दोनों महान स्त्री के जीवन से बहुत प्रेरणा ले सकते है,जिन्होंने विषम परिस्थितियों को आने से कैसे रोका जाए ये विचार करते हुए समाज को एक नई दिशा दी।
कार्यक्रम का प्रारंभ मुख्य वक्ता श्रीमति वंदन माहौर,विशेष अतिथि महापौर श्रीमति गीता अग्रवाल,अध्यक्षता कर रहे श्रेया चौबे ने भारत माता चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया।इस अवसर पर वर्तमान समय मे चुनौती पूर्ण कार्य करने वाली बहनों सुश्री मंजू सिसोदिया,कु.राजकुमारी सोलंकी (लोकगायिका),श्रीमती पूजा
परमार,रेखा दुबे (ऑटोचालक),खुशी पाटीदार का सम्मानित किया गया।
संचालन श्रीमति शर्मिला ठाकुर ने एवं आभार श्रीमति संगीता गोयल ने माना।