बंद रखे स्कूल, मांगों को लेकर राज्यपाल के नाम सौंपा ज्ञापन

अशासकीय शिक्षण संस्था संचालक संघ के पदाधिकारी व सदस्य रैली के रूप पहुंचे कलेक्टोरेट

देवास। प्रदेश के अशासकीय विद्यालयों पर वर्तमान समय में शासन की अव्यवहारिक नीतियों, कार्रवाइयों जो कि विद्यार्थी हित व समाज हित से कोई सरोकार नहीं रखती, न ही इनका ठोस आधार है। इन क्रियाकलापों से विद्यार्थी, पालक एवं शिक्षण संस्थाओं का संचालन प्रभावित एवं बाधित हो रहा है। शासन द्वारा विद्यालय वाहनों के संचालन के संबंध में दिए गए दिशा निर्देशों का पालन किया जाता है इसके बाद भी अशासकीय विद्यालयों के वाहनों पर शासन द्वारा अनावश्यक कार्रवाई की जा रही है। साथ ही विद्यालय में होने वाली किसी भी प्रकार की घटना के लिए संचालक, प्राचार्य, शिक्षक को सीधे-सीधे जि़म्मेदार मानकर कार्यवाही करना सम्पूर्ण शिक्षा जगत के लिए दु:खद है। 
इन सबके विरोध में मंगलवार को शहर के शत-प्रतिशत अशासकीय स्कूल बंद रहे। अशासकीय शिक्षण संस्था संचालक संघ के प्रवक्ता आदित्य दुबे व मीडिया प्रभारी अबरार एहमद शेख ने बताया संघ के अध्यक्ष राजेश खत्री के नेतृत्व में स्कूल संचालक रैली के रूप में चामुंडा कॉम्प्लेक्स से कलेक्टोरेट पहुंचे और राज्यपाल के नाम ज्ञापन डिप्टी कलेक्टर राजेंद्र रघुवंशी को सौंपा। ज्ञापन के माध्यम से विभिन्न मांगों का उल्लेख किया गया। वाचन संघ के अध्यक्ष राजेश जी खत्री ने किया। इस अवसर पर उपाध्यक्ष सैयद मकसूद अली, कोषाध्यक्ष सुरेश चव्हाण, प्रेमनाथ तिवारी, आरपी मिश्रा, सैयद अब्दुल बारी, वीरधवल पोतेकर, एम.एस. गेहलोत, उदय टाकलकर,स्वप्निल जैन, विशाल शर्मा, सुरेंद्र राठौर, शकील कादरी, सुषमा अरोरा, निवेदिता पोतेकर, ज्योति देशमुख, क्रेग लुकास, शकील शेख, समाधान गौतम, साजू सेम्युअल, अजीज कुरैशी, रवि श्रीवास्तव, अनिल शर्मा, नवनीत तिवारी, चेतन पचौरी, मुर्तजा अली सैफी, प्रकाश चव्हाण, मोखिर अली, अबिश चाको, शाहनवाज अली, उस्मान शेख, आशीष शर्मा, कीर्ति चव्हाण, राज चांदना, सुशील मिश्रा, बालकृष्ण दांगी, नारायण सिंह, राजेश गोयल, संदीप चौरसिया, नीरज शर्मा,रकेन्द्र त्रिवेदी, राजेन्द्र गोयल, राजजेश गोयल, रितेश शर्मा सहित बड़ी संख्या में स्कूल संचालक उपस्थित थे। 
इन मांगों का उल्लेख किया ज्ञापन में 
-स्कूली वाहनों की गतिसीमा 40 किमी प्रति घंटा के स्थान पर 60 किमी निर्धारित की जाए। 
-पालकों द्वारा संचालित स्कूली वाहनों की जवाबदारी स्कूल पर नहीं रहे। 
-छोटे शहरों, ग्रामों में महिला अटेंडर की बाध्यता समाप्त करें।
-आरटीओ द्वारा जांच, परीक्षण के बाद हल्के व भारी वाहनों को चलाने के लिये अलग-अलग लाइसेंस जारी किये जाते हैं। ऐसे में संबंधित श्रेणी के विद्यालय वाहन चलाने के लिये वाहन चालकों हेतु अनुभव वर्षों की बाध्यता नहीं होना चाहिए।  
-विद्यालय में किसी विद्यार्थी द्वारा अनापेक्षित, अमानवीय या अकल्पनीय अपराध करने पर संचालक, प्राचार्य, शिक्षक पर प्रकरण पंजीबद्ध नहीं होना चाहिए, क्योंकि ये विद्यार्थी को अपराध के लिये प्रोत्साहित नहीं करते हैं। 
-किसी भी प्रकार की घटना होने पर विद्यालय प्रबंधन के पक्ष को भी भलीभांति सुना जाना चाहिए। 
    

                                  

Post Author: Vijendra Upadhyay

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