डॉक्टर पवन कुमार चिल्लोरिया, देवास की कलम से…
जनादेश 2019 के चुनाव परिणाम मे भाजपा को प्रचंड जीत मील गय और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने पुन शपथ भी ले ली लेकिन विपक्ष के समर्थक मेरे मित्र मान ने को तैयार ही नही की उनकी इस चुनाव मे बहुत बुरी हार हो गय हे। वो अभी भी कुतर्क कर रहे हे। इस्स चुनाव परिणाम को EVM या किसी हेरा फेरी के माथे मड रहे हे जो सरा सर जनादेश का अपमान हे। जबकी ये वक्त अपने गिरेबा मे झाकने का हे। आत्मव्लोकन करने का हे।
सच तो यह हे की मोदी जी जीते, क्योंकि देश की जनता ने उनमे विश्वास व्यक्त किया हे,उनमे भरोसा दिखाया हे।
भाजपा का 2019 का लोकसभा चुनाव बहुमत से जीतना असंभव सा था। बिल्कुल वैसे ही जैसे की आसमान से चांद तारे तोडने जैसा असम्भव कार्य।लोहे के चने चबाने जैसा कठिन हे। लेकिन मोदी जी के करिश्माई व्यक्तित्व और अमित शाह “चाणक्य “की चतुर राजनीति से मोदी हे तो मुमकिन हे का नारा सफल हो सका।
आवो उन कारणो का पता लगाये की देश की विपक्षी पार्टियों की क्यों इतनी बुरी हार हुई।
(1) राष्ट्रीयता/Nationalism- राष्ट्रीयता की भावनाओ को नजर अन्दाज कर ने वाली पार्टी से जनता जुड़ाव महसूस नही करती। आप को राष्ट्र की चिंता नही हे ।राष्ट्रवाद को उग्र राष्ट्रवाद (extreme nationalists or Hindu Nationalist) का नाम दे कर आप जनता का विश्वास नही जीत सकते। आप JNU मे जाकर जो लोग भारत के टूकडे करने का सपना देखते आप उनके साथ खडे़ हो जाते हो।आप सर्जिकल स्ट्राइक को फर्जी ,पुलवामा को मोदी का षडयंत्र मानते हो,बालाकोट एयर स्ट्राइक के साबूत मांगना,आतंकवाद को आप हल्के मे ले रहे हो, देशद्रोह कानून (Sedition law) ,अफसा कानून (AFSA LAW) को हटाना, कश्मीर धारा 370 को बचाना,NRC BILL का विरोध करना।जबकी जनता को इन सारी बातो पर अटूट विश्वास हे। आप जनमानस के खिलाफ गये और आप चुनाव हार गये। आप आम जनता की भावनाओ के खिलाफ जा कर केंद्र मे सरकार नही बना सकते। आपका narrative ही देश की आम जनता के खिलाफ था।
(2) मोदी जी की छवि बिगाड़ने से या गाली देने से चुनाव नही जीत सकते- देश की जनता नही चाहती की कोई भी पार्टी मोदी की आलोचना करे या उनपर भ्रष्टाचार का झूठा आरोप लगाए या उनको गाली दे जैसे सिद्धु कर रहे थे। जैसे रफ्फेल मामले मे हुवा। राहुल गांधी जी का चौकीदार चोर हे का आरोप भारी पडा। बंगाल मे ममता जी का मोदी जी का विरोध करना और गाली देना भारी पड़ा ।मोदी जी देश के विकास की बात कर रहे थे और विपक्ष उनको हटाने की बात करता रहा।
जनता के सामने कोई साकारात्माक बाते रखना होगी तभी वहा आकार्षित होगी। विपक्ष का नेरेटिव ही नेगेटीव था।
(3) जातिवाद और अल्पसंख्यक की राजनीति के दम पर भी चुनाव नही जीत सकते। उत्तर प्रदेश,बिहार मे दलित,यादव और अल्पसंख्यक का गठबंधन भी जीत नही दिला सकता। क्यौंकि गठबंधन वाले सिर्फ मोदी का विरोध कर रहे थे, विकास का कोई मॉडल नही बता रहे थे। इसलिये जातिवाद और मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति खतम हुई हे ।
(4) सेकुलर राजनीती का ढोंग भी नही चलेगा ।आप बहूसंख्यक समाज को अपमानित करके,गाली दे कर भी चुनाव नही जीत सकते । तुष्टिकरण राजनीति (Appeasement Politics) भी नही चलेगी
(5)ब्राँड मोदी और अमित शाह की सुपर हिट Chemistry-
1:मोदी जी का करिश्माई व्यक्तित्व और उनकी भाषण शैली सब पर भारी है। उन्होंने इस चुनाव को मोदी बनाम राहुल बना दिया और जनता दोनों में से जिसे बेहतर समजे,उसे चुन ले। मोदी जी जानते थे कि जनता क्या करने वाली हे और किसे चुने वाली है वैसा ही हुआ भी । नोटबंदी,जीएसटी, बेरोजगारी आदि सभी मुद्दे देखते देखते गायब हो गए उनकी जगह पुलवामा,बालाकोट, राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रवाद ने ले ली।
मोदी जी ने इस चुनाव में यह भी साबित कर दिया कि चुनाव जितने के लिए वास्तविक मुद्दों की जरूरत नहीं होती है मोदी जी ने समूचा चुनाव अपनी स्वयं की छवि के दम पर ही लडा। चुनाव प्रचार के दौरान उनकी पार्टी के उम्मीदवार चेहरा विहीन हो गए ।मोदी जी ही पार्टी उम्मीदवारो का चेहरा और मुखोटा बन गए। मोदी इज बीजेपी एंड बीजेपी इज मोदी स्थापित हो गया। ऐसा पहले इंदिरा गांधी जी के जमाने मे हुआ था जब इंदिरा इज इंडिया और इंडिया इज इंदिरा का नारा दिया गया था मोदी जी के सामने टक्कर के लिए विपक्ष की ओर से कोई सशक्त नेता था ही नहीं सिर्फ राहुल गांधी जी के अलावा कोई और दूसरा नेता नहीं था और राहुल गांधी सफल नहीं हो पाए। चंद्रबाबू नायडू जी, मायावती जी, ममता बनर्जी जी,अखिलेश जी, अरविंद केजरीवाल जी ये सब लोग प्रधानमंत्री बनने के सिर्फ सपने देखते रहे रहे गए और और कुछ नहीं कर पाए ।
2019 का चुनाव परिणाम इस बात का भी प्रमाण है कि देश की जनता ने मोदी जी के नेतृत्व की जरूरत को स्वीकार कर लिया है ।पहले कहा जाता था कि पश्चिम बंगाल और उड़ीसा मे भाजपा का कोई अस्तित्व नहीं है इस चुनाव में उसे भी गलत साबित कर दिया है मोदी जी ने तो अपनी स्वयं की पार्टी में और विपक्ष के पास भी अब ऐसा कोई नेता रहने दिया ही नहीं जो उनके प्रभुत्व को चुनौती दे सकें। इस चुनाव परिणामों को भाजपा अपने राष्ट्रवाद के नारे और अपनी सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की नीति पर जनता की मोहर के रूप में भी ले सकती हैं।
2:अमित शाह– अमित शाह जी की छवि एक तरफ एक कठोर नेता की है तो दूसरी तरफ उन्हें जमीन से जुड़ा हुआ नेता भी माना जाता है। उनके प्रबंधन कौशल और कार्यशैली की वजह से आज वह देश की राजनीति की सबसे बड़ी शख्सियतों में से एक बन गए हे। अमित शाह जी की चतुर राजनीति और दूरदर्शिता की वजह से उन्हें आज का चाणक्य कहा जाता है और इसीलिए उन्होंने मोदी है तो मुमकिन है का नारा संभव कर दिखाया। उन्होंने सबसे पहले भाजपा की सदस्यता को 10 करोड़ तक ले गए और भाजपा को दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बना दिया। जमीनी स्तर पर काम करते हैं। तकनीक पर बहुत ज्यादा जोर देते हैं उन्होंने सिर्फ मोदी जी पर केंद्रित चुनाव प्रचार ही किया। वह 24 घंटे 365 दिन काम करते हैं। कार्यकर्ताओं से उनका सीधा जुड़ाव है ।वह जोखिम उठाते हैं। अमित शाह जी ने प्रचार के लिये सबसे पहले उम्मीदवारों की प्रासंगिकता खत्म की और सत्ता विरोधी लहर को कमजोर करा।
दूसरा वोटरों के दिमाग पर छा जाने वाले प्रचार को ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया।
तीसरा प्रचार में चुनावी मुद्दा सिर्फ मोदी और राष्ट्रवाद को बनाना मोदी ने इसी रणनीति के तहत रैलियों में उम्मीदवारों का नाम ना ले कर कमल का बटन दबाने की अपील की थी।
विपक्षी पार्टियों की हार का सबसे सबसे बड़ा कारण मोदी जी और अमित शाह जी हैं इन दोनों की वजह से ही विपक्षी पार्टी जीत नहीं पा रही है। इनकी वजह से विपक्ष की नींद हराम हे।विपक्षी पार्टियों को हार की समीक्षा करना है तो सबसे पहले उन्हें देश के प्रति अपना नेरेटीव बदलना पड़ेगा।भाजपा की जीत के कारणों की स्टडी करना पड़ेगी। अमित शाह जी और मोदी जी का अध्ययन करना पड़ेगा आने वाले 4 साल तक विपक्षी पार्टियों को सिर्फ भाजपा की रणनीति ही समझना चाहिए और आखिरी के 1 साल उन्हें चुनाव प्रचार की तैयारियाँ करना चाहिए।