पुष्पवर्षा और वंदनद्वार लगाकर किया स्वयंसेवकों का स्वागत
देवास। विजयादशमी के पावन पर्व पर प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी अनुशासित तरीके से कदम ताल करते हुए विशाल पथ-संचलन निकाला गया। नगर प्रचार प्रमुख अरविंद भट्ट ने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 94 वें स्थापना दिवस पर संघ द्वारा स्थानीय राधागंज क्लब ग्राउण्ड पर शुक्रवार, 19 अक्टूबर को आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता आयशर कम्पनी के प्रबंधक संजय मिश्रा ने की। उनके साथ मंच पर विभाग कार्यवाह कैलाश चंद्रावत, नगर संघ चालक हरीश जुनेजा उपस्थित थे। परम्परा अनुसार सभी अतिथियों का परिचय संघ के नगर कार्यवाह अमरदेव ठाकुर ने करवाया। कार्यक्रम में सर्वप्रथम शस्त्र पूजन किया गया। तत्पश्चात स्वयंसेवकों को विभाग प्रचारक नंददास दण्डोतिया ने संबोंधित करते हुए कहा कि नौ दिन तक देवी की आराधना के पश्चात विजय स्वरूप विजयादशमी का पर्व संघ के छह उत्सवों में से एक है। देवी शक्ति ने असुरों का संहार किया। त्रेता युग में भगवान श्री राम ने राक्षेसी विधर्मी शक्तियों को परास्त किया। द्वापरयुग में भगवान श्री कृष्ण ने कंस का संहार किया। ईश्वरीय शक्तियां धरा पर आई और विधर्मियों को नाश करती गई। छत्रपति शिवाजी महाराज ने समाज के सभी वर्गों को लेकर हिन्दू साम्राज्य की स्थापना की। डॉ. हेडगे वार जी ने छत्रपति शिवाजी भगवान राम के कार्य को आगे बढ़ाते हुए समाज के सभी वर्गों को लेकर संघ की स्थापना आज ही के दिन 1925 में की। तब से लेकर आज तक संघ धारा प्रवाह कार्य कर रहा है। हमें भी राष्ट्र के लिये समय देने की आवश्यकता है। हमारा यह वर्ष समरसता का वर्ष है। प्रत्येक व्यक्ति तक हमें पहुंचना है। संघ भारत को वैभवशाली और विश्वगुरू के रूप में प्रतिष्ठित करने के लक्ष्य से समाज को संगठित करते हुए आगे बढ़ रहा है। गुरूनानक देव जी का यह 550 वां प्रकाश पर्व है। भारत वर्ष की प्राचीन परम्परा से प्राप्त सत्य को भूलकर आत्मविस्मरत होकर जब अपना सारा समाज धम्ब, मिथ्याचार, स्वार्थ तथा भेद के दल-दल में आकण्ठ फंस गया था ओर दुर्बल और पराजित व विघटित होकर लगातार सीमा पार से आने वाले कुर्र विदेशी, असहिष्णु अक्रामकों की बरबर प्रताडऩाओं को झेलकर तार-तार हो रहा था। तब श्री गुरूनानक देव जी ने अपने जीवन की ज्योति जलाकर समाज को अध्यात्म के युगानूकुल आचरण से आत्मोद्धार का नया मार्ग दिखाया एवं समाज को समरसता का पाठ पढ़ाया। संघ समाज में व्याप्त बुराई और कुरितियों को समाप्त करने के लिये सार्थक प्रयास कर रहा है। संघ की व्यापकता और समाज की संघ के प्रति आस्था बढ़ रही है। हम सब स्वयंसेवकों का दायित्व देश के लिये बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र की सीमाओं की सुरक्षा किसी भी देश के स्वाभिमान के लिए महत्वपूर्ण होती है। उसी प्रकार आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी समाज की होती है। समाज में किसी भी प्रकार की अनैतिक या गैरकानूनी गतिविधियों पर नजर रखना समाज के प्रत्येक जागरूक नागरिक का प्रथम कर्तव्य होता है। उद््बोधन के पश्चात संचलन शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए पुन: कार्यक्रम स्थल पर पहुंचा। मार्ग में संचलन का सभी समाज के संगठनो द्वारा पुष्पवर्षा कर उत्साह पूर्वक स्वागत किया गया।
पथ संचलन में एक ध्वज वाहिनी, 4 घोष एवं 27 वाहिनियां थी। इस बार संघ की दृष्टि से देवास के 32 बस्तियों के लगभग 2800 स्वयंसेवकों ने संचलन में भाग लिया।

