मां के प्रेमी और दो अन्य ने किया था दुष्कर्म, तीनों को आजीवन कारावास
-करीब तीन साल पहले कन्नौद थाना क्षेत्र के मामले में विशेष न्यायाधीश अजा-अजजा एक्ट योगेशचंद्र गुप्त का फैसला, मां को भी मिली सजा
देवास। कन्नौद थाना क्षेत्र की रहने वाली एक आदिवासी किशोरी के साथ उसकी मां के प्रेमी और दो अन्य ने अलग-अलग जगह अपहरण करके रखा और दुष्कर्म किया। लोगों को किशोरी को सौंपने में उसकी मां भी शामिल रही। इस मामले की सुनवाई करते हुए विशेष न्यायाधीश अजा-अजजा एक्ट योगेशचंद्र गुप्त ने तीन आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही मां को भी सजा सुनाई गई। चार में से एक आरोपी को नौ, दूसरे को आठ, तीसरे को पांच व मां को चार धाराओं में अलग-अलग सजा के साथ ही सभी पर कुल 47 हजार रुपए का अर्थदंड भी किया गया है।
मामले में अभियोजन की ओर सै पैरवी करने वाले उपसंचालक अभियोजन विमलकुमार छाजेड़ ने बताया अगस्त 2014 को डांगराखेड़ा गांव की निवासी किशोरी ने कन्नौद थाने में रिपोर्ट लिखाई थी कि उसको उसकी मां व उनका प्रेमी रामेश्वर बैरागी डांगराखेड़ा से कन्नौद लेकर लाए जहां शेरू भाई के मकान में किराए से रहे, यहां रामेश्वर ने दुष्कर्म किया। किशोरी जब मां को बताती तो वो उसे ही डांट देती थी। कुछ दिन बाद किशोरी को लेकर दोनों हरदा गए जहां बस स्टैंड पर रामेश्वर ने फोन लगाकर यूसुफ ड्राइवर निवासी शिवपुर को बुलाया और उसे किशोरी को सौंप दिया। यूसुफ उसे शिवपुर ले गया और वहां दुष्कर्म किया। कुछ दिन बाद किशोरी की मां व रामेश्वर शिवपुर पहुंचे और एक मंदिर में मुकेश प्रजापति से जबरन हार डलवाकर शादी करवा दी फिर मुकेश ने दुष्कर्म किया। कुछ दिन बाद किशोरी को फिर से कन्नौद लाया गया। यहां से मौका पाकर वो भागकर अपनी बहन के पास ग्राम पांगरी पहुंची और पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी। इसके बाद पुलिस ने रामेश्वर, यूसुफ, मुकेश के खिलाफ अपहरण, दुष्कर्म, एससी-एसटी एक्ट, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया। किशोरी की मां के खिलाफ भी केस दर्ज कर किया गया। सुनवाई करते हुए चारों आरोपियों को दोषी पाया गया। रामेश्वर, यूसुफ व मुकेश को एससी-एसटी एक्ट में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। वहीं किशोरी की मां को पाक्सो एक्ट व धारा 370 में 10-10 साल की सजा सुनाई गई।