किसान एक-दूसरे का सिर फोड़ने के लिए हो गए हैं मजबूर, प्रशासन नहीं ले रहा सुध

– जिला महामंत्री ने धरना देकर शासन-प्रशासन पर लगाए गंभीर आरोप
आशीष देवांग, देवास

देवास। समर्थन मूल्य में गेहूं लेने की मंशा सरकार की नहीं दिख रही है। केंद्र पर बैठे अधिकारी-कर्मचारी अपने परिचितों के गेहूं तुलवा रहे हैं और अपरिचितों को भगा रहे हैं। इससे किसानों में रोष पैदा हो रहा है और वे एक-दूसरे का सिर फोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं। वे एक-दूसरे पर पथराव कर रहे हैं। भेदभाव का शिकार हो रहे किसान एक-दूसरे को मारने के लिए मजबूर हो गए हैं और प्रशासन है कि सुध ही नहीं ले रहा है। अगर प्रशासन ने व्यवस्था नहीं सुधारी तो दो दिन बाद किसानों को लेकर बड़ा आंदोलन करेंगे। यह चेतावनी कांग्रेस के जिला महामंत्री प्रदीप चौधरी ने दी है।

सोमवार को उन्होंने मंडुकपुष्कर पर शासन-प्रशासन के खिलाफ धरना दिया। उन्होंने प्रशासन पर अनदेखी का आरोप लगाया। समर्थन मूल्य में गेहूं तुलवाने वालों पर भेदभाव का आरोप लगाया और शासन की लापरवाही उजागर की। उन्होंने कहा कि केंद्रों पर बड़े तोल से गेहूं तोलने के बजाय छोटे तोल कांटे का इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि 12-15 ट्रॉली का गेहूं तोला जा सके। केंद्र के लोग मक्कारी कर रहे हैं और इधर से उधर केंद्र पर भेज रहे हैं। इससे शासन की मंशा साफ जाहिर हो रही है कि वह गेहूं नहीं लेना चाह रही है। अगर समर्थन मूल्य में गेहूं नहीं लेना है तो स्पष्ट कर देना चाहिए, ताकि किसान परेशान न हो। किसान हफ्तेभर तक केंद्र के बाहर धूप में भूखे-प्यासे खड़े हैं। उनके खाने-पीने का इंतजाम भी नहीं किया जा रहा है। प्रशासन अगर ध्यान नहीं देगा तो दो दिन बाद सैकड़ों किसानों के साथ धरना देना मजबूरी बन जाएगी। बेहतर है कि प्रशासनिक अधिकारी चेत जाए, वरना कोरोना के बीच धरना प्रदर्शन हुआ तो इसके जिम्मेदार भी वहीं रहेंगे। मौके पर पूर्व महापौर रेखा वर्मा, विश्वजीतसिंह चौहान मौजूद थे।

व्यापारियों को लाभ पहुंचाना चाहती है सरकार

महामंत्री चौधरी ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार व्यापारियों को लाभ पहुंचाना चाहती है, जिसके चलते किसानों को परेशान किया जा रहा है। सरकार की मंशा नहीं है कि वह समर्थन मूल्य में गेहूं लें, ताकि किसान मजबूरी में मुनाफाखोर व्यापारियों के पास जाए और उन्हें सस्ते दामों में अनाज बेच दें। मुनाफाखोर भी गेहूं लेने के लिए और किसानों का दोहन करने के लिए तैयार बैठे हैं। चौधरी ने यह भी आरोप लगाया कि चार दिन पहले कलेक्टर से चर्चा हुई थी, तब वे बोले थे कि समस्या का समाधान करेंगे, लेकिन चार दिन बाद भी कुछ नहीं हुआ। अब वे फोन भी नहीं उठा रहे हैं।

किसान बोले- बहाने बनाकर भगा रहे केंद्र के जिम्मेदार

– किसानों का कहना है कि केंद्र के अधिकारी कई तरह के बहाने बनाकर भगा रहे हैं। वे कहते हैं-

– आपका गेहूं कैसे उतरवाएं हमारे पास हम्माल नहीं है।

– बड़े तोल कांटे ठीक से चल नहीं रहे हैं इसमें हम क्या कर सकते हैं।

– सरकार ने ज्यादा किसानों को मैसेज कर दिया है जिसके चलते हम उन्हें संभाल नहीं पा रहे।

– गेहूं साफ-सुधरा करके नहीं ला रहे हो इसलिए लेने में परेशानी हो रही है।

– हमारे पास तो इतना गेहूं रखने की जगह ही नहीं है जितना गेहूं आप ला रहे हो।

ये वजह, जिसके कारण किसान हुए परेशान

– लंबे समय से लॉकडाउन चल रहा था, जिसके चलते हरी फसल अच्छे भाव में नहीं बिक पाई।

– गर्मी के दिनों में ही कई जगह बारिश हो गई, जिसके चलते कई फसलें खराब हो गई।

– लॉकडाउन में छूट मिलने के दौरान ही टिड्डियों ने आतंक मचा दिया और कईयों की फसलें चट कर गए।

– शासन द्वारा समर्थन मूल्य में गेहूं तो लिया जा रहा है, लेकिन प्रशासन द्वारा अनदेखी की जा रही है, जिसके चलते व्यवस्था नहीं बन पा रही है और किसानों को कई दिनों तक ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर खड़े होना पड़ रहा है।

कर्जा लेकर देना पड़ रहा किराया

चौधरी का कहना है कि कई केंद्रों पर एक हजार क्विटंल गेहूं रखने की क्षमता है, लेकिन शासन ने दस हजार क्विंटल गेहूं के लिए मैसेज भेज िदिया है। ऐसे में किसानों का नंबर दो-तीन दिन बाद आ रहा है, जिससे वे परेशान हो रहे हैं। कई जगह पर किसान एक हफ्ते से गेहूं लेकर खड़े हुए हैं। उन्हें हर दिन ट्रैक्टर-ट्रॉली का किराया 1500 रुपए देना पड़ रहा है, जिससे उनकी जेब खाली हो रही है। कई किसानों को कर्जा लेकर किराया देना पड़ रहा है। जल्द ही तेज बारिश होने की संभावना भी बन रही है, जिससे रोड पर गेहूं लेकर खड़े किसान ज्यादा डरे हुए है।

Post Author: Vijendra Upadhyay

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