- पर्युषण पर्व के समाप्ति पर हुआ प्राणि मात्र के प्रति मैत्री रूप संवत्सरी का महाप्रतिक्रमण
- 12 सितंबर रविवार को रथ यात्रा एवं वार्षिक बोलियां का होगा आयोजन
देवास। पर्वाधिराज पर्युषण पर्व की आज पूर्णाहुति हुई। श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर में पर्युषण के पूर्णाहुति अवसर को संवत्सरी महापर्व के रूप में मनाया गया। जिसके अंतर्गत महाप्रतिक्रमण करके जगत के प्राणीमात्र के प्रति हमारे द्वारा किसी भी प्रकार से हुई भूलों के लिये क्षमा मांगी गई। कई भव्य आत्माओं ने पौषध करके साधु जीवन का एक दिवसीय परिपालन लिया। गर्म जल के आधार पर नन्ने मुन्हे बच्चो से लेकर बुजुर्गो तक ने उपवास किया।
महान ग्रंथ कल्पसूत्र के सार रूपी पवित्र ग्रंथ बारसा सूत्र का वांचन किया गया। इस ग्रंथ को वांचन के लिये भेंट करने का लाभ जमनालाल भेरूलाल जैन परिवार ने प्राप्त किया। बारसा सूत्र के चित्र दर्शन का भी कार्यक्रम हुआ। इसके पश्चात चैत्य परिपाटी निकाली गई। जो कि श्री आदेश्वर जैन मंदिर होते हुए श्री शंखेश्वर मंदिर पर समाप्त हुई।
इस अवसर पर पं गौरांग भाई ने कहा कि हम इस महापर्व पर विश्वास के साथ कहें कि केवल आज ही नहीं हमेशा के लिये हम हमारे हृदय में इस जगत के प्रत्येक जीव के प्रति प्रेम को ऐसा परिपल्लवित कर देंगे कि वह प्रेमयुक्त हृदय किसी को कष्ट देने में निमित्त नहीं बनेगा । किसी की ओर से पैदा कराये गये कष्ट को ध्यान में नहीं रखेगा। यदि इतना हो जाये तो पर्वाधिराज की आराधना सफल है। क्षमा एक ऐसा अमूल्य शस्त्र है जो समर्थ व्यक्ति को कभी पराजित नहीं होने देता। बैर का बदला लेने से बैर भाव नहीं मिटता उसे तो हृदय से मिटाना पड़ता है। क्षमा मांगने के लिये नम्रता चाहिये और क्षमा देने के लिये उदारता।
आपने आगे कहा कि संवत्सरी महापर्व का यह मंगल संदेश है जगत का प्रत्येक जीव परमात्मा तुल्य है। आज तक भले ही किसी के साथ कर्कश, कठोर और तिरस्कार भरा व्यवहार किया हो परंतु आज से व्यवहार में परिवर्तन करेंगे। मुलायम, मृदु और सद्भावना पूर्ण व्यवहार शुरू करेंगे तो फिर परमात्मा हमसे दूर नहीं है।
आगामी कार्यक्रम
प्रवक्ता विजय जैन ने बताया कि 12 सितंबर रविवार को प्रात: 9 बजे रथ यात्रा निकलेगी एवं वार्षिक बोलियां बोली जाएगी । तत्पश्चात साधर्मिक भक्ति का विशेष आयोजन होगा ।