सहकारिता विभाग के काट रहे चक्कर, कर्जदारों से वसूली भी अटकी
देवास। पिछले दिनों शहर की विक्रम सहकारी संस्था डिफाल्टर हो गई थी और इस संस्था में पैसा जमा करने वाले सैकड़ों लोगों को दो वर्ष बीत जाने के बाद भी राशि नहीं मिली और ना ही सहकारिता विभाग व बैंक प्रबंधन उन बकायादारों से राशि वसूल कर पाया है, जिन्होंने वर्षों पहले ऋण लिया था, किंतु राशि जमा करने की बारी आई तो हाथ ऊंचे कर दिये। एक अनुमान के अनुसार करीब ढाई करोड़ से अधिक बकायादारों को बैंक को लेना है। वहीं इतनी ही राशि जमाकर्ताओं को भी देना है, जो अब बैंक व सहकारिता विभाग के चक्कर लगा रहे है, किंतु दुर्भाग्य है कि संस्था शाखा पर तो ताला लटका है। वहीं वसूली नहीं होने के अभाव में सहकारिता विभाग में भी फिलहाल राशि दिलाने में असमर्थता जता दी है।
इस संबंध में उपायुक्त सहकारिता महेंद्र दीक्षित ने बताया कि विक्रम सहकारी साख संस्था 2020 के कोरोना काल में बंद हो गई थी, तब से लेकर अब तक कुल 86 लोगों ने हमारे विभाग में शिकायत दर्ज कराई है, जिनके करीब 1 करोड़ 12 लाख रुपये बैंक से लेना है। वहीं बैंक प्रबंधन द्वारा सहकारिता विभाग की न्यायालय में वसूली के 30 प्रकरण दायर किये थे, जिनमें से 15 प्रकरणों में न्यायालय डिक्री के आदेश जारी कर चुका है, जिसमें करीब 30 लाख रुपये की वसूली होना है। 11 प्रकरणों में बैंक द्वारा दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए है, इसीलिए उन प्रकरणों को नस्तीबद्ध कर दिया है। जबकि 4 प्रकरण प्रचलन में है। दीक्षित ने बताया कि जमाकर्ताओं की राशि दिलाने के लिए नयापुरा स्थित संस्था के भवन को विक्रय करने के लिए भोपाल मुख्यालय पर पत्र भेजा है। वहीं बैंक प्रबंधक पर भी 54 लाख रुपये की रिकवरी निकाली गई है। यदि भवन विक्रय करने की अनुमति मिल जाती है, तो कुछ हद तक जमाकर्ताओं को राशि लौटाई जाएगी। वहीं बकायादारों से राशि वसूलने के लिए भी सख्ती बरती जाएगी।