प्रशासन जागा उससे पहले ही पुलिस और समाजसेवियों ने कई मजदूरों को भेज दिया अपने गांव
आशीष देवांग,देवास
देवास। मजदूरों को जिला प्रशासन उनके गंतव्य तक पहुंचाकर भले ही वाहवाही लूट रहा है, लेकिन हकीकत यह भी है कि पुलिस ने जुगाड़ करके अब तक डेढ़ लाख से ज्यादा मजदूरों को उनके घर पहुंचा दिया है। मजदूरों को उनके घर पहुंचाने में पुलिस कर्मचारी और समाजसेवी जिला प्रशासन से कई कदम आगे निकल चुके हैं। समाजसेवियों और पुलिस कर्मचारियों ने मिलकर कई बड़े वाहनों को रोका और उनसे हाथ जोड़कर निवेदन भी किया, ताकि वे अपने गांव व अपने प्रदेश के मजदूरों को साथ ले जाए। खास बात यह है कि जिला प्रशासन औपचारिकताएं पूरी करने में जुटा हुआ है, जिसके चलते बड़ी संख्या में मजदूरों को उनके गांव नहीं भेजा जा सका है।
दरअसल, लॉकडाउन-1 शुरू होने के बाद से मजदूरों ने महाराष्ट्र से पलायन शुरू कर दिया है। ये मजदूर महाराष्ट्र में रहकर काम कर रहे थे। लेकिन जब लॉकडाउन-2 शुरू हुआ तो पलायन करने वाले मजदूरों की संख्या तेजी से बढ़ गई। ज्यादातर मजदूर इंदौर बायपास से होते हुए देवास की बार्डर में आने लगे थे। तब पुलिस ने रसूलपुर चौराहा स्थिति शहरी सीमा को पूरी तरह सील कर दिया था, ताकि भारी संख्या में मजदूर शहर में प्रवेश न कर सके। दिन-ब-दिन पलायन करने वाले मजदूरों की संख्या बढ़ने लगी और प्रतिदिन हजारों की तादाद में मजदूर रसूलपुर चौराहा से होकर गुजरने लगे। जब 17 मई तक लॉकडाउन बढ़ाया गया तो मजदूरों की भीड़ एकदम से बढ़ गई, तब भी जिला प्रशासन इनकी मदद के लिए आगे नहीं आया था। इस दौरान पुलिस ने देखा कि कई माताएं अपने बच्चों को पैदल ले जाने पर मजबूर है। कई लोग भारी सामान सिर पर रखकर ले जा रहे हैं। और तो और कई मजदूर साइकिल से भी रवाना हो रहे तो पुलिस व समाजसेवियों ने स्वविवेक से ट्रक, ट्रॉली, बस जैसे बड़े वाहनों को रोकना शुरू कर दिया और उसकी क्षमता अनुसार पैदल यात्रियों को उसमें रवाना शुरू कर दिया। बताया जा रहा है कि पुलिस ने डेढ़ लाख से ज्यादा मजदूरों को इसी तरह जुगाड़ करके अपने गंतव्य तक पहुंचा दिया है।
हाथ जोड़े तो वाहन चालक मुफ्त में ले गए सवारी
बायपास स्थित भोजन सेवा दे रहे प्रदीप चौधरी व उनकी टीम ने अब तक कई मजदूरों को गाड़ी में बैठाकर रवाना कर दिया। समाजसेवी मोहनीश वर्मा की टीम ने भी कई मजदूरों को जुगाड़ की सवारी करवाई है। कई बड़े-छोटे नेताओं ने भी अपने स्तर पर जुगाड़ जमाई और मजदूरों को भोजन करवाकर यूपी-बिहार तक भेजा है। डीएसपी प्रतिष्ठा राठौर ने भी कई गाड़ियों को रूकवाकर पैदल जाने वाले यात्रियों की मदद की है। कई बार वाहन चालक अपने ही गांव के लोगों को साथ ले जाने में आनाकानी करते रहे, लेकिन समाजसेवी, पुलिस, पत्रकार, चिकित्सा से जुड़े लोग व राजनेताओं ने कई वाहन चालकों के आगे हाथ जोड़कर निवेदन किया, ताकि मजदूरों उनकी मदद से अपने घरों तक पहुंच सके। इस दौरान यह भी देखने में आया कि कई मजदूरों के लिए सीधे यूपी-बिहार के वाहन नहीं मिले, तब समाजसेवियों ने उन्हें भोपाल तक भी रवाना किया, ताकि आगे जाकर वे अपनी अन्य व्यवस्था कर सके। खास बात यह है कि जुगाड़ की सवारी पहुंचाने में वाहन चालकों ने भी किसी से शुल्क नहीं लिया। कई बार यह भी देखने में आया कि कुछ लोडिंग ऑटो खाली जा रहे थे, तब पैदल जाने वाले मजदूरों से समन्वय बैठाया गया और जब सभी ने जाने का खर्चा बराबरी में बांटने की सहमति जताई तो वाहन चालक मजदूरों को अपने साथ ले गए।
सुरक्षा के साथ भेजे गए मजदूर
जिला प्रशासन इन दिनों जिन मजदूरों को अपने गंतव्य तक भेज रहा है उन्हें मास्क दे रहा है। उन्हें सेनिटाइज कर रहा है। भोजन भी करवा रहा है और उन्हें रास्ते में पीने के पानी व नाश्ते की व्यवस्था भी कर रहा है। हालांकि यह सब काम लंबी औपचारिकताओं के चलते किया जा रहा है। समाजसेवी और पुलिस ने औपचारिकताएं तो नहीं की, लेकिन मास्क, भोजन, सेनिटाइजेशन जैसी सुविधा व सुरक्षा जरूर उपलब्ध करवाए। पुलिस का कहना है कि सिर्फ रसूलपुर चौराहे से ही करीब डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों को भेज दिया गया है। चुंकि यह एक जुगाड़ थी इसलिए किसी की इंट्री नहीं की गई। इंट्री सिर्फ उन्हीं लोगों की हुई है जो शहर में प्रवेश कर रहे थे। चुंकि प्रशासन से सवाल-जवाब ज्यादा होते हैं इसलिए प्रशासन उन सभी मजदूरों के नाम व संख्या दर्ज कर रहा है, जिसे वह अपने गांव तक भेज रहा है।
रसूलपुर चौराहे स्थित सीमा पर तैनात पुलिसकर्मी प्रकाश राजोरिया का कहना है कि हमने आज तक एंट्री तो नहीं की, लेकिन यह हकीकत है कि अब तक एक-डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों को हम जुगाड़ जमाकर उनके गंतव्य तक पहुंचा चुके हैं। इस कार्य में वरिष्ठ अधिकारियों का ज्यादा योगदान रहा है।
डीएसपी प्रतिष्ठा राठौर का कहना है कि लॉकडाउन-2 की घोषणा के बाद पैदल जाने वाले मजदूरों की संख्या बढ़ गई थी, लेकिन जब 17 मई तक लॉकडाउन जारी रखने की घोषणा हुई तो हजारों की तादाद में महाराष्ट्र से वाहन आने लगे। हमने रसूलपुर चौराहा से प्रतिदिन 5 हजार से ज्यादा लोगों को जुगाड़ जमाकर (ट्रक व अन्य वाहनों को रूकवाकर) मजदूरों को भेजा है।