शांति समिति की बैठक में धार्मिक आयोजन को लेकर सियासती खेल शुरू

– कांग्रेस अध्यक्ष और भाजपा विधायक प्रतिनिधि आमने सामने
– बैठक में समिति के गैर सदस्यों द्वारा वीडियो बनाकर, उसे किया गया वायरल
– शांति समिति में कोंन कोंन है वह भी देेखे


देवास टाइम्स। देवास में आगामी त्योहारों गणेश चतुर्थी, मोहर्रम आदि के अवसर पर आवश्यक विचार-विमर्श के लिए शांति समिति की बैठक रखी गई थी। जिसमे देवास शहर के सभी धर्मों के धर्म गुरु के साथ साथ विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधि व राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि भी शामिल थे।
बैठक में देवास कलेक्टर चन्द्रमौली शुक्ला द्वारा कोरोना महामारी मे राज्य शासन के आदेश ओर निर्देश के अनुसार शहर में किसी भी प्रकार के धार्मिक आयोजन न हो सभी लोगो को यह अवगत कराया गया। लेकिन शहर कांग्रेस अध्यक्ष मनोज राजानी द्वारा गणेश चर्तुथी और मोहर्रम दोनो त्यौहार के आयोजन के लिये नई गाइडलाइन बनाने की बात कही और उस गाइडलाइन अनुसार अनुमति देने की बात भी कही। लेकिन बाद में उन्होंने गणेश चर्तुथी के आयोजन पर ज्यादा जोर दिया। साथ ही कुछ लोगो द्वारा जो कि वह शांति समिति के सदस्य न होने के बावजूद भी बैठक में मौजूद थे, उन्होंने मनोज राजानी की बात का वीडियो बना कर उसे वायरल भी किया गया। वही दूसरी ओर अन्य दलों के प्रतिनिधि द्वारा इस विषय पर कोई चर्चा नही की गई। बाद में बैठक में यह तय हुआ कि सार्वजनिक स्थानों पर मूर्ति, झांकी, ताजिये स्थापना नहीं हो पाएगी। जिसका आदेश भी देवास कलेक्टर द्वारा निकाला गया।


लेकिन बाद में उसी दिन मनोज राजानी द्वारा एक प्रेस नोट निकाला गया जिसमे उन्होंने आरोप लगया की कोरोना महामारी का बहाना बनाकर परंपरा को रोकना हिंदू धर्म के साथ अन्याय करना है। जिसे देवास की मीडिया द्वारा भी भरपूर उठाया गया। कल फिर उनके द्वारा एक प्रेस नोट फिर निकाला गया जिसमे उन्होंने फिर से आपदा प्रबंध समिति की बैठक बुलाने पर जोर दिया और धार्मिक आयोजनों की अनुमति की मांग की।

उनके जवाब में संस्था सिद्धिविनायक के संयोजक और भाजपा विधायक प्रतिनिधि रवि जैन ने कहा है हमारी पहली प्राथमिकता शहरवासियों का स्वास्थ्य है। धर्म को कम से कम राजनीति से न जोड़ा जाए।
राजनीति की बजाय शहरहित की बात करनी चाहिए।हरतालिका तीज पर होने वाले भव्य कार्यक्रम में जो महिलाएं शामिल होती हैं उनका भी मत यही है कि इस बार कार्यक्रम बड़े पैमाने पर न हो क्योंकि मौजूदा हालात में बचाव ही सबसे बेहतर है। सभी की सहमति से यह निर्णय लिया गया है कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस बार कार्यक्रम हर साल की तरह भव्य स्तर पर न हो। परंपरानुसार विधिविधान से सीमित आयोजन हो। शासन-प्रशासन कह रहा है तो उनके निर्देशों का पालन करना हर नागरिक का कर्तव्य है। कोई भी व्यक्ति राजनेता बाद में है पहले वह नागरिक है। धर्म राजनीति का विषय नहीं है। संस्था सिद्धि विनायक के संयोजक के नाते मुझे और मेरी टीम को यह समझ आ रहा है कि अभी ये समय नहीं है कि एक साथ भीड़ एकत्र की जाए चाहे वह धार्मिक आयोजन हो या राजनीतिक क्योंकि इतने लोगों को एक साथ सेनेटाइज करना संभव नहीं न ही उनकी स्क्रीनिंग की जा सकती है। यह दायित्व भी हमारा है कि हम शहर और शहरवासियों के स्वास्थ्य की चिंता करें। गणेशोत्सव होता ही शहर की खुशहाली के लिए है और धर्म भी परहित की बात करता है। कुछ लोग इसे राजनीति का विषय बना रहे हैं जो दुर्भाग्यपूर्ण है। बेहतर है कि शासन-प्रशासन के साथ आकर शहर को स्वस्थ रखने में योगदान दें। हमने शहरवासियों की सहमति और उनकी सेहत को ध्यान में रखकर ही यह निर्णय लिया है कि इस बार लाल गेट के राजा का आयोजन भव्य स्तर पर नहीं होगा। मंदिरों में, घरों में गणेशजी की पूजा-अर्चना कर प्रार्थना करेंगे कि जल्द इस महामारी से मुक्ति मिले। यह शहर हमारा है और इस शहर के लोगों के सुख-दुख की चिंता भी हमारा नैतिक कर्तव्य है।

शांति समिति की लिस्ट

Post Author: Vijendra Upadhyay