– वन विभाग मौन है अवैध लकडिय़ों की कटाई पर
देवास। जिले के ग्रामीण अंचल में लकडिय़ों की कटाई जोरों पर चल रही है। लकड़ी तस्कर किसानों से सस्ते दामों में लकड़ी लेकर आरा मशीनों में बेचकर कमाई कर रहे है। वन विभाग कभी कभार दिखावे की कार्यवाही करता है और फिर कटाई का सिलसिला शुरू हो जाता है। जिले में इन दिनों ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में प्रतिबंधित वृक्षों की कटाई और कीमती इमारती लकड़ी का अवैध व्यापार खूब जोरों पर है। जहां इस कार्य में संबंधित स्थानीय जिला विभागीय अफसर भी लाचार नजर आ रहे हैं। इस अवैध कार्य के कारोबार को बढ़ावा देने में बकायदा संबंधित विभागीय अफसरों की अंदरूनी सहमति और संरक्षण प्रदान तक हो रहा है। उल्लेखनीय है कि जिले के ग्राम चौबाराधीरा, पीपलरावां, सोनकच्छ, नेवरी, गंधर्वपुरी, हाटपीपल्या सहित कई ग्रामीण इलाकों से दर्जनों गाडिय़ां अवैध लकडिय़ां लेकर रात के अंधेरे में निकलती है, एक ऐसा ही मामला एक बार पुन: सामने आया है।
सूत्रों के अनुसार शुक्रवार की रात करीब 9.15 बजे एक 407 वाहन बिना नंबर के अवैध लकडिय़ां लेकर देवास की एक आरा मशीन पर पहुंचा। मुखबिर द्वारा वन विभाग को सूचना दी गई, लेकिन वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी ने आरा मशीन संचालक को सूचना देकर गाड़ी वहा से रफा-दफा कर दी। जब इस प्रकार का मामले सामने आया उसके कुछ ही देर बाद वन विभाग ने दिखावे की कार्यवाही करते हुए कार्यवाही की। सूचना मिली की टोंककला चौकी प्रभारी और बीट अधिकारी राजेन्द्र ठाकुर द्वारा अवैध लकड़ी का वाहन क्रमांक डीएल 1 एलपी 9699 जो कि बिना टीपी के मक्सी से इंदौर की ओर जा रहा था। उस पर कार्यवाही करते हुए जब्त किया।
अवैध लकडिय़ों से भरे वाहनों का देवास से गुजरने का मामला पहली बार सामने नहीं आया है, यह सिलसिला काफी समय से चलता आ रहा है। जहां रातों-रात अवैध लकडिय़ों से भरे छोटे-बड़े वाहन देवास बायपास से होते हुए गुजरते है। सूत्रों के अनुसार इन वाहनों से 3 हजार से 5 हजार रूपए प्रतिदिन प्रति वाहनों से वसूले जाते है। इन्हीं कारण से लकड़ी तस्करों के हौंसले बुलंद है। लकड़ी व्यापार के इस गैर कानूनी प्रतिबंधित कारोबार के लिए सुरक्षित ठिकाना व केंद्र साबित हो रहा है। पूरी व्यवस्था के साथ जिले भर में लकड़ी माफिया जबरदस्त प्रभाव व राजनीतिक सहभागिता के साथ सक्रिय है। इस मामले में जिला सहित ब्लाक के विभाग इस पर फिसड्डी साबित हो रही है। एक ओर जहां प्रदेश के मुखिया और जिला प्रशासन वृक्ष बचाने और पौधारोपण करने की बात करते है। वहीं वास्तविकता में इसकी जमीनी हकीकत इसके उलट है। प्रशासन के पौधारोपण और वृक्ष बचाओ आदेश का जमकर लकड़ी तस्करों द्वारा मजाक उड़ाया जा रहा है।