
भोपाल रोड स्थित परिसर में, छात्रों ने जीवन में गुरु के महत्व को दर्शाते हुए नाटक, गीत, नृत्य (गुरु वंदना), कविताएँ और भाषण प्रस्तुत किए। उन्होंने शिष्य आरुणी की कहानी का मंचन किया, जिसने अपने गुरु के आदेशों का पालन कियाऔर अपने जीवन की परवाह न करते हुए पूरी रात नदी के किनारे बिताई और बाढ़ के पानी को आश्रम में घुसने और उसे नष्ट होने से रोका, क्योंकि गुरु का आदेश इस दुनिया में किसी भी चीज़ से अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। आरुणी को गुरु से वास्तविक ज्ञान और बुद्धि का वरदान प्राप्त हुआ। प्राथमिक विद्यालय के छात्रों ने श्रीकृष्ण-अर्जुन, सांदीपनि– श्रीकृष्ण, चाणक्य-चंद्रगुप्तमौर्यतथा रामकृष्ण परमहंस–स्वामी विवेकानंदजैसी प्रसिद्ध गुरु-शिष्य जोड़ियोंकीवेषभूषा में मंचपर आकर उनकी स्मृति दिलाई।
बद्रीधाम नगर स्थित सेनथॉम पब्लिक स्कूल परिसर में शिक्षिका सुश्री रीनावैक्सर ने हमारे जीवन में गुरु के महत्व को समझाया और यह भी बताया कि गुरु पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है।सभी शिक्षकों द्वारा गुरु पूजन केपश्चात प्रसाद भी वितरित किया गया।विद्यालय की प्रधानाध्यापिका श्रीमती सोमाली घोष ने भी इस अवसर के महत्व पर प्रकाश डाला।