देवास। श्री नारायण कुटी सन्यास आश्रम, माता टेकरी रोड़ पर चल रही श्री शिव महापुराण कथा श्रवण करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन देवास सहित इंदौर, उज्जैन, शाजापुर, धार सहित विभिन्न क्षेत्रो से पहुंच रहे है। चतुर्थ दिवस परम पूज्य अरविंद जी महाराज ने बताया कि पुरा बह्रामांड भगवान शिव का रूप है। भगवान शिव की पूजा अर्थात भक्ति करने से मानव का कल्याण होता है। उन्होंने बताया कि आम आदमी की बात तो छोड़ो लंका पर चढ़ाई करने से पहले भगवान राम ने समुद्र के किनारे शिवलिंग की स्थापना की। शिव की अराधना की। उसके बाद लका पर चढ़ाई कर रावण के साथ युद्ध किया और विजय प्राप्त की। वही स्थान बाद में रामेश्वरम के नाम से प्रख्यात हुआ।
महाभारत के युद्ध से कौरवों पर विजय प्राप्त करने के पाण्डवों ऊँ नमो शिवाय का जप करवाया। यह भगवान कृष्ण की शिव भक्ति का बहुत बडा प्रकरण है। महामंडलेश्वर श्रीश्री 1008 ने बताया कि हम चित्रों में भगवान राम को भगवान कृष्ण को शिव भक्ति करते हुए पाएंगे। लेकिन किसी चित्र मे शिव को किसी भक्ति करते हुए नही पाएगे। ब्रह्मा, विष्णु और महेश संसार के रचयिता है। तीनों के विभाग अलग-अलग है। महाराज श्री ने बताया कि अपने उपर संयम रखना अति आवश्यक है। ब्रहा श्वेत वस्त्र पहनते है। विष्णु पिताम्बर पहनते है। जबकि भोले बाबा शेर की खाल पहनते है। कथो कि शेर संयम का प्रतीक है। भगवान गणेश का जिक्र करते हुए कहा कि गणेश के चार हाथ मौघक, एक हाथ से अशीर्वाद तथा एक हाथ किताब गणेश सयंम के प्रतीक है। जानकारी देते हुए स्वामी माधवानंद तीर्थ जी ने बताया कि व्यासपीठ की आरती मुख्य यजमान कृष्ण मोहन गुप्ता एवं श्रीमती वीणा गुप्ता बैंगलोर सहित उपस्थित भक्तो ने की। तत्पश्चात प्रसादी का वितरण किया गया। कथा 30 दिसंबर तक दोपहर 2 से शाम 5 बजे तक चलेगी।