देवास टाइम्स। कोरोना के चलते अभी देश मे शासकीय और अशासकीय विद्यालय नहीं खुल पा रहे है। जो कि बच्चों की सेहत के लिये ठीक भी है। लेकिन इस कारण कितने ही अस्थाई शिक्षक व अन्य कर्मचारी बेरोजगार हो गए है। उन्हें किसी भी विद्यालय चाहे शासकीय हो या अशासकीय को वेतन नही दिया जा रहा है। जिस कारण उन्हें आज आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
वही मप्र के यशस्वी मुख्यमंत्री ने अतिथि शिक्षकों के वेतन के मामले में प्रधानमंत्री के आग्रह पर अभी तक विचार नहीं किया है। ज्ञात हो की प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन अवधि में कहा था कि अस्थाई कर्मचारियों से भी सहानभूति पूर्वक व्यवहार करे। परन्तु लॉक डाउन की अवधि का वेतन अभी तक आदेशित नहीं किया गया है जिससे अतिथि शिक्षकों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। इस बात को लेकर अतिथि शिक्षकों ने प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन भी दिया लेकिन उनकी अभी तक कोई सुनवाई नही हुई।
वही दूसरी ओर अशासकीय अस्थाई शिक्षकों का भी भविष्य अंधकार में है। क्योकि अशासकीय शिक्षण संस्थाओं ने यह निर्णय लिया है कि जब तक विद्यालय शुरू नही होगे वह इन्हें वेतन नही दे पाएगा। वही दूसरी ओर अशासकीय शिक्षण संस्थाएं स्थाई शिक्षको 25 से 30 प्रतिशत वेतन ही दे रहा है।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि अस्थाई शिक्षकों की बेरोजगारी का जिम्मेदार कौन?