देवास टाइम्स/ कोरोना महामारी में ऐसे मरीज जिन्हे कम संक्रमण है वह सामान्य उपचार के दौरान ठीक हो रहे है। लेकिन कुछ मरीज ऐसे भी है जिन्हे संक्रमण बड़े स्तर पर फैल गया है उनके उपचार के लिए संक्रमण के प्रतिशत को देखने के लिए कुछ ब्लड जाँच के साथ सिटी स्केन करवाना पड़ता है। जिससे संक्रमण के स्तर का पता पड़ जाता है और डॉक्टर उस रिपोर्ट के आधार पर अगला उपचार करता है।
सिटी स्केन आज के समय में इतना जरुरी हो गया है फिर भी उसके मूल्य निर्धारित नहीं है। यदि किसी मरीज का उपचार जिला अस्पताल में चल रहा है तो उसकी वही पर सिटी स्केन की जाँच मात्र 930 रुपये में हो जाती है। वही अगर अमलतास अस्पताल में मरीज सिटी स्केन करवाता है तो उसे उसका 3000 मूल्य देना होता है। लेकिन यदि कोई मरीज अपना उपचार अन्य प्रायवेट अस्पताल में करवा रहा है तो उसे सिटी स्केन प्रायवेट लैब में करवाना पड़ता है जिसके लिए उसे 5500 से 6000 मूल्य देना पड़ता है। जबकि कोरोना के पहले सिटी स्केन का मूल्य 2000 से 3000 लगता था। मतलब साफ़ है लैब के द्वारा कमीशन के चक्कर में उसका मूल्य और बड़ा दिया है। जबकि कोरोना महामारी में इनके मूल्य निर्धारित रहने चाहिए।
उन्ही बातो को देखते हुए सवाल उठता है की कोरोना गाइडलाइन अनुसार सिटी स्केन के मूल्य निर्धारित क्यों नहीं ?
इस विषय पर हमारी चर्चा देवास के मुख्य चिकित्सा एव स्वास्थ्य अधिकारी से हुई तो उनका कहना है की उपचुनाव में कोविड को लेकर हमारी व्यस्तता बनी हुई है। फिर भी इस विषय पर हम चुनाव के बाद कुछ निष्कर्ष निकालने का प्रयास करेंगे।
