जन्माष्टमी कब ओर क्यो मनाये

☘?☘?☘?☘?☘?☘

? जन्माष्टमी व्रत निर्णय?

१- वर्जनीय प्रयत्नेन सप्तमी संयुता अष्टमी।
बिना ऋक्षेण कर्तव्या नवमी संयुता अष्टमी।।

(अग्नि पुराण)

अर्थात:- जिस दिन सूर्योदय में सप्तमी होकर फिर अष्टमी आये और रोहिणी हो तो उस दिन व्रत नहीं करना चाहिए। नवमी युक्त अष्टमी को ही व्रत करना चाहिए।।

२- पुत्रां हन्ति पशून हन्ति हन्ति राष्ट्रम सराजकम।
हन्ति जातान जातानश्च सप्तमी षित अष्टमी।।

-श्रोत – पद्म पुराण

अर्थात:- अष्टमी यदि सप्तमी विद्धा हो और उसमें उपवास करें तो पुत्र , पशु, राज्य ,राष्ट्र , जात, अजात,सबको नष्ट कर देती है।
३- पालवेधेपि विप्रेन्द्र सप्तम्यामष्टमी त्यजेत।
सुरया बिंदुन स्पृष्टम गंगांभः कलशं यथा।।

श्रोत:- स्कंद पुराण

अर्थात:- जिस प्रकार गंगा जल से भरा कलश एक बूंद मदिरा से दूषित हो जाता है उसी प्रकार लेश मात्र सप्तमी हो तो वह अष्टमी व्रत उपवास के लिए दूषित हो जाती है।
इन पौराणिक आख्यानों को दृष्टिगत रखते हुए जन्माष्टमी व्रत एवं जन्मोत्सव ३ तारीख सोमवार को ही मनाना उचित प्रतीत हो रहा है | अत: जन्माष्टमी ३ सितम्बर दिन सोमवार को मनायी जायेगी।
???????????

Post Author: Vijendra Upadhyay

Leave a Reply