नई दिल्ली : एक देशभक्त को प्रधानमन्त्री बनाने का क्या फायदा होता है ये बात आपको इस खबर को पढ़कर पता चल जायेगी. भारत में धर्मांतरण के खिलाफ पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार की कोशिश का आज एक बड़ा नतीजा सामने आया है. देश में बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन में लगे अंतर्राष्ट्रीय एनजीओ और क्रिस्चियन मिशनरीज के खिलाफ मोदी सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है।
क्रिस्चियन मिशनरियों के खिलाफ मोदी का बड़ा एक्शन
के.पी. योहननं द्वारा स्थापित ‘क्रिस्चियन ग्रुप्स बिलीवर्स चर्च’ और उससे जुड़े तीन अन्य संस्थानों के विदेशी धन लेने पर रोक लगा दी गयी है. राजनाथ सिंह की अगुवाई में गृहमंत्रालय ने विदेशी सहायता विनियमन कानून के तहत दक्षिणी भारत आधारित ‘बिलीवर्स चर्च’ और उसके तीन सहयोगियों – केरल में चल रहे अयाना चैरिटेबल ट्रस्ट, लव इंडिया मिनिस्ट्रीस और लास्ट ऑवर मिनिस्ट्री के रेजिस्ट्रेशन रद्द कर दिए हैं।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक़ कंपैशन इंटरनेशनल व् कई अन्य क्रिस्चियन मिशनरी संस्थाओं को भारत में अवैध तरीके से धर्म परिवर्तन करने के लिए विदेशों से धन मिल रहा था. हालांकि एनजीओ के अधिकारियों ने इन आरोपों से इंकार करते हुए खुद को पाक साफ़ बताया है और कहा है कि सरकार ने उन्हें आरोपों का खंडन करने का मौक़ा ही नहीं दिया।
विदेशों से मिल रहे थे खरबों रूपये
एनजीओ के अधिकारियों का कहना है कि वो सरकार के नियमों का पालन करते हुए विदेशी धन नहीं ला रहे थे।हालांकि चौकाने वाला खुलासा ये हुआ है कि केवल अयाना चैरिटेबल ट्रस्ट को ही पिछले वित्तीय वर्ष में करीब 20 करोड़ डॉलर मिले हैं, जिसमे से ज्यादातर धन अमेरिका से मिला है।
आपको बता दें कि इससे पहले 2016 में भी गृहमंत्रालय ऐसे ही 6 क्रिस्चियन मिशनरीज संस्थाओं के विदेश धन लेने के लाइसेंस रद्द कर चुका है और 2015 में भी करीब 10 हजार ऐसे एनजीओ व् धर्म परिवर्तन कराने वाली संस्थाओं के रेजिस्ट्रेशन रद्द कर दिए गए थे, जिन्हे भारत में अवैध तरीके से धर्म परिवर्तन करने के लिए विदेशों से अरबों रुपयों का फंड मिल रहा था।
अमेरिकी सरकार के दबाव का नहीं हुआ मोदी पर कोई असर
इस साल की शुरुआत में 100 से ज्यादा अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों ने भारत के गृह मंत्री को पत्र लिखकर उनसे अनुरोध किया था कि वो अमेरिकी बाल सुधार एनजीओ ‘कंपैशन इंटरनेशनल’ को भारत में काम करने दें. कंपैशन इंटरनेशनल भारत में ‘कंपैशन इंडिया’ नाम से एनजीओ चलाता है और प्रधानमन्त्री बनते ही नरेंद्र मोदी ने देश में काम कर रहे तमाम एनजीओ का ऑडिट कराया जिसमे ये बात खुलकर सामने आई थी कि अमेरिकी एनजीओ “कंपैशन इंटरनेशनल” भारत में सबसे ज्यादा फंडिंग भेज रहा है और ये सारा पैसा भारत में हिंदुओं के ईसाई धर्मांतरण में लग रहा है।
आपको बता दें कि “कंपैशन इंडिया” के खिलाफ जांच और नए नियमों को लगाए जाने के कारण पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा और मोदी सरकार के रिश्तों में भी मनमुटाव हो गया था। जिसके बाद ओबामा सरकार के कई मंत्रियों और अधिकारियों ने भारत आकर मोदी सरकार पर इस बात के लिए दबाव डालने की कोशिश भी की थी कि “कंपैशन इंडिया” के लिए दिक्कतें पैदा न की जाएं।
धर्म परिवर्तन के गोरखधंधे में मीडिया से लेकर नेताओं तक की मिलीभगत
मगर मोदी सरकार ने किसी भी दबाव के सामने झुकने से इंकार कर दिया. सबसे अहम् बात जो सामने आयी है, उसके मुताबिक़ विदेश से मिले धन से ना केवल बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन पिछले कई सालों से चल रहा था, बल्कि उस धन का गलत इस्तमाल करके कुछ मिशनरीज भारत में जमीन व् अन्य जगहों पर निवेश भी कर रहे थे, जोकि सरासर गैर कानूनी है,
हाल ही में एक रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत के 8 राज्यों में जनसंख्या अनुपात में बड़ा बदलाव आया है, जिसका मुख्य कारण अवैध धर्म परिवर्तन को ही बताया गया है, जिसके कारण इन राज्यों में ईसाईयों की संख्या कई गुना बढ़ गयी है,
सूत्रों के मुताबिक़ सरकार जांच में तो ये तक पता चला है कि इस तरह से धर्म परिवर्तन में लगे मिशनरियों द्वारा देश के कई मीडिया संस्थानों के मुह में भी पैसे ठूसे जा रहे थे, इन्ही पैसों से बिके हुए अखबारों और चैनलों ने मोदी सरकार के खिलाफ हल्ला बोला हुआ था और झूठी ख़बरें छाप कर बदनाम किया जा रहा था।