जम्मू कश्मीर बैंक पर छापे, चेयरमैन परवेज अहमद बर्खास्त, बैंक के दस्तावेजों की जांच जारी।

मोदी सरकार का कार्यकाल आरंभ होते ही व् अमित शाह के गृहमंत्री बनते ही देश में सफाई अभियान चालू हो गया है, सबसे पहले अमित शाह की दृष्टि पड़ी है जम्मू-कश्मीर में भ्रष्टाचार, आतंकियों की फंडिंग व् हवाला करोबार का केंद्र बिंदु बन चुके जम्मू कश्मीर बैंक और उसके अधिकारियों पर, जिनपर अब कड़ी कार्रवाई शुरू हो चुकी है।

आज एक ओर जहां J&K बैंक के चेयरमैन और बोर्ड डायरेक्टर परवेज़ अहमद को पद से हटाकर आर के छिब्बर को नया चेयरमैन और बोर्ड डायरेक्टर नियुक्त किया गया, वही दूसरी ओर परवेज़ को पद से हटाए जाने के ठीक बाद एंटी करप्शन ब्यूरो ने J&K बैंक के हेडक्वार्टर पर छापेमारी की।

परवेज अहमद को हटाने के ठीक बाद स्टेट विजिलेंस टीम ने J&K बैंक के श्रीनगर स्थित हेडक्वार्टर पर छापेमारी शुरू की है जो अभी भी जारी है, और इस समय बैंक के दस्तावेजों रिकार्ड्स की गहन छानबीन की जा रही है, इसके अतिरिक्त भ्रष्टाचार और भर्तियों में धाँधली के आरोप में पूर्व चेयरमैन परवेज़ अहमद को गिरफ्तार भी किया जा सकता है।

नवनियुक्त जम्मू कश्मीर बैंक के चेयरमैन आर के छिब्बर 1947 के बाद जम्मू एंड कश्मीर बैंक के पहले गैर कश्मीरी गैर मुस्लिम चेयरमैन हैं और आज हुई इस अप्रत्याशित कार्यवाही का उद्देश्य भी जम्मू कश्मीर बैंक में गहरी जड़ें जमा कर बैठे अलगाववादी समर्थकों के वर्चस्व को तोड़ना ही है।

जम्मू एंड कश्मीर बैंक और उसके वरिष्ठ अधिकारियों पर हवाला ट्रांजैक्शन, जेहादी आतंकवादियों की सहायता व् कश्मीर में आतंकवाद फैलाने में सहयोग करने, कर्मचारियों की भर्ती में धांधली जैसे कई गम्भीर आरोप हैं, परंतु आज तक, कभी भी, किसी भी सरकार के शासन में इन आरोपों पर कोई जांच नहीं हुई।

वर्ष 2018 में इस बैंक में क्लर्क भर्ती में कश्मीर घाटी के शांतिदूत अभ्यर्थियों को, जम्मू क्षेत्र के हिन्दू अभ्यर्थियों के मुकाबले कम अंक आने के बावजूद प्राथमिकता दी गई थी,
जिसके उपरांत जब जम्मू के अभ्यर्थियों ने विरोध किया व् प्रश्न खड़े किये तो मामले को दबाने हेतु परीक्षा पास न करने वाले कश्मीरी शांतिदूत अभ्यर्थियों को निकाले बिना, जम्मू के अभ्यर्थियों को भर्ती कर लिया गया।

जम्मू कश्मीर बैंक में घाटी के अलगाववादी समर्थकों का आधिपत्य आप किसी बात से समझ लीजिए कि कहने को तो जम्मू कश्मीर बैंक एक सार्वजनिक बैंक है, परंतु बैंक में चल रहे गोरखधंधे व् काले कारनामे बाहर ना जाएं इसीलिए बैंक को आरटीआई के दायरे तक से बाहर रखा गया है, सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक होने के कारण यह निरंतर सरकार से वित्तीय सहायता तो लेता रहा है परंतु पारदर्शिता व् उत्तरदायित्व की बात करें तो यह कभी भी सरकार के प्रति जवाबदेह नहीं रहा।

जम्मू कश्मीर बैंक द्वारा KYC (नो योर कस्टमर) के नियमों को फॉलो नहीं करने के कारण RBI द्वारा इनपर ₹3 करोड़ का फाइन भी लगाया जा चुका है इसके अतिरिक्त इस बैंक के NPA (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स) भी सुरसा के मुंह समान निरंतर बढ़ते ही जा रहे हैं।

इस बैंक के इतिहास और स्थापना की बात करें तो 1938 में महाराजा हरि सिंह ने इसे स्थापित किया था, जम्मू कश्मीर का भारत में विलय होने के पश्चात यह राज्य सरकार के अधीन आ गया, और उसके बाद से ही यह अलगाववादी समर्थकों, हवाला करोबार, भर्तियों में धाँधली व् पैसों के अवैध लेन-देन का अड्डा बन गया, जिसमें तबसे लेकर आजतक कश्मीर घाटी के अलगाववादी समर्थकों का ही कब्जा रहा।

आपको यह जानकर अचरज होगा कि पिछले वर्ष जब इस बैंक के 80 वर्ष पूरे होने का उत्सव मनाया गया तो उस पूरे कार्यक्रम में कहीं भी बैंक के संस्थापक महाराजा हरि सिंह की तस्वीर और उनके नाम का नामोनिशान तक नहीं था,
स्थिति यह है कि बैंक की अधिकारिक वेबसाइट पर भी बैंक के संस्थापक का कहीं कोई उल्लेख नहीं है।

परंतु आज हुई इस कार्यवाही से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि आने वाले समय में इस प्रकार के गोरखधंधों में लिप्त संस्थानों पर मोदी नीत भाजपा सरकार कठोर कर्यवाही कर देश विरोधियों के हौसले, उनके एजेंडे और उनकी कमर तोड़ने का काम पूरे समर्पण व् लगन के साथ करने का मन बनाकर बैठी है।

Post Author: Vijendra Upadhyay

Leave a Reply