सुरेश जायसवाल, देवास
मन्नत्तु पद्मनाभन(जन्म-2 जनवरी,1878ई.)केरल के प्रसिद्ध समाज सुधारकों में से एक थे। घर कीआर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। कई कठिनाइयों का सामना करते हुए इन्होंने मजिस्ट्रेटी की परीक्षा पास की थी, जिससे वकालत शुरू कर सकें। उस समय नायर समाज में जो अंध विश्वास और पाखण्ड व्याप्त था, उसे दूर करने के लिए मन्नत्तु पद्मनाभन ने ‘नायर सर्विस सोसाइटी’ नामक एक संस्था की स्थापना की थी। केरल का भारत में विलय कराने के आन्दोलन में उन्हें 68 साल की उम्र में जेल भी जाना पड़ा। बहुमुखी सेवा कार्यों के लिए इन्हें1966में ‘पद्मभूषण’ सम्मान प्रदान किया गया था। समाज में अंध विश्वास, आडंबर और पाखंड आदि का बोल बाला था।विवाह सम्बन्धी अनेक अनुचित प्रथाएँ प्रचलित थीं। इन सब कारणों से किसी समय का उन्नत नायर समाज बड़ी दीन-हीन दशा को पहुँच चुका था। मन्नत्तु पद्मनाभन ने इस स्थिति को सुधारने के लिए अपने कुछ सहयोगियों के साथ1914ई. में ‘नायर सर्विस सोसाइटी’ नामक एक संस्था बनाई। आरम्भ से ही मन्नम इस संस्था के सचिव थे। फिर उन्होंने अपनी वकालत भी छोड़ दी और पूरा समय सोसाइटी के कार्यों में लगा दिया। उनके प्रयत्न से नायर समाज की अनेक बुराइयाँ दूर हुईं। समाज के अनेक दोषों को दूर करने के लिए उन्हें सरकार से क़ानून बनवाने में भी सफलता मिली। परन्तु मन्नम का कार्यक्षेत्र केवल नायर जाति सुधार तक ही सीमित नहीं था। उन्होंने छुआछूत की कुप्रथा को दूर करने में भी आगे बढ़कर भाग लिया। पहले ‘अवर्णों’ को नायर सोसाइटी के मन्दिरों में पूजा करने का अधिकार प्रदान किया गया। फिर गांधी जी की अनुमति लेकर अन्य मन्दिरों में हरिजन प्रवेश के लिए सत्याग्रह किया। फलस्वरूप1936में त्रावनकोर के महाराजा ने सबके लिए मन्दिर खोल दिये। अपने समाज सेवा के कार्य में मन्नत्तु पद्मनाभन ने शिक्षा तथा स्वास्थ्य सेवाओं को भी सम्मिलित किया। उन्होंने केरल के अनेक भागों में विद्यालयों की स्थापना की। केरल का भारत में विलय कराने के आन्दोलन में उन्हें 68 साल की उम्र में जेल भी जाना पड़ाथा।1948में वे राज्यविधान सभा के सदस्य बने। स्वतंत्रता के बाद केरल में बनी प्रथम साम्यवादी सरकार के जनविरोधी कार्यों का उन्होंने इतना ज़ोरदार विरोध किया कि सरकार को सत्ता छोड़नी पड़ी थी। इस आन्दोलन के बाद मन्नम भारत केसरी के नाम से भी विख्यात हुए। ऐसे महान समाज सुधारक, सत्याग्रही के अवतरण दिवस पे कोटि कोटि प्रणाम।