जीवन में घटनाओं का समन्वय और समाधान है रामायण-शीलगुप्ता श्रीजी

देवास। रामायण ऐसा ग्रंथ है जिसकी कथा को सभी जानते हैं। हमारे अंदर भी अंश रूप में अवश्य रूप से सुशुप्त अवथा में राम और सीता विराजमान है । हमें ऐसा पुरूषार्थ करना है कि हमारे अंदर सुशुप्त राम और सीता को हम जागृत कर सकें। रामायण में जीवन की घटनाओं का समन्वय भी है और समाधान भी। नदी का पानी एक जैसा अगर बहता है तो मजा नहीं आता, बीच में पत्थर, तरंगे व मोड आते तभी आनंद की अनुभूति होती है। ऐसे ही उतार चढ़ाव, हर्ष शोक, एवं सुख-दुख की कई तरंगों से युक्त है प्राचीन अद्भुत कहानी रामायण। रामायण के यथार्थ जीवन में भी कई मोड आए पर सारे मोड को समर्पण, सच्ची लगन और तीव्र सद्भावना के साथ राम सीता ने जोडकर महान ग्रंथ रामायण बना दिया।
रामायण के अनछुए पहलुओं से साक्षात्कार कराते हुए यह बात श्री शंखेश्वर पाश्र्वनाथ मंदिर में रामायण पर आधारित प्रवचन में साध्वीजी शीलगुप्ता श्रीजी एवं शीलभद्रा श्रीजी ने कही। आपने आगे कहा कि श्रीराम के पिता दशरथ महाराजा के कुल की गौरव गाथा बडी उत्तम एवं अनुकरणीय थी। उनके कुल में सभी ने संयम स्वीकार किया था। इसी गौरव गाथा को राम, लक्षमण और भाईयों ने आगे बढ़ाया और इसी का अनुसरण उनके पुत्र लवकुश ने भी किया। हमें भी अपने कुल परम्परा की गौरव गाथा को जानना होगा और उसका सम्मान करते हुए उसी गौरव गाथा के अनुसार जीवन यापन करना होगा। हमारे पूर्वजों ने कई सुकृ त किए है उसी के परिणाम स्वरूप हमें इतना सुंदर जीवन प्राप्त हुआ है। हमें अपने पूर्वजों के उन सदकार्यो को याद करते हुए दुष्कृत से दूर होना है। हमारे मानस पटल मे नारदजी एक ऐसे पात्र हैै जो सदा चुगली करते हैं अगर वो दूसरों की चुगली हमें बताए तो नारद जी अच्छे लगते है और हमारी खामियां और गलतियां दूसरों को बताए तो वही नारदजी खराब हो जाते है। यह हमारा कैसा दृष्टिकोण है। एक ही व्यक्ति हमें एक समय अच्छा और सच्चा लगता है और वही व्यक्ति हमारे विरूद्ध जाए तो खराब और झूठा लगने लगता है। हमें परिस्थितिवश विषम नहीं सम बनकर अपने दृष्टिकोण को बदलना होगा। अपनी खामियों को स्वयं खोजना होगा तभी हम हमारे अंदर सुशुप्त राम और सीता को जागृत कर उनके जैसा सर्वोत्कृष्ट जीवन जी सकेंगे।
आगामी कार्यक्रम
29 जुलाई रविवार को प्रात: 9.15 बजे प्रभु की खोज विषय पर प्रवचन होंगे। शाम 4 से 5 बजे 15 वर्ष तक के बच्चों का मैं कौन हूं विषय पर ज्ञान शिविर आयोजित होगा। समग्र जैन समाज के श्रद्धालुओं के लिये एक समान सामूहिक पुण्य उपार्जन करने हेतु पूज्यश्री द्वारा प्रतिदिन सामूहिक नियम दिया जा रहा है। रविवार का नियम अपने पूर्वजों की गौरव गाथा का मनन एवं चिंतन करना है।

Post Author: Vijendra Upadhyay

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