मुंबई/ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि विभाजन के पश्चात सिंध पाकिस्तान में चला गया. परंतु, सिंध हमारा है, यह भावना केवल सिंधी समाज ही नहीं, वरन् प्रत्येक भारतीय, हिन्दू व्यक्ति के मन में रहनी चाहिये। और आने वाली पीढ़ी तक पहुंचनी चाहिये. सब एक साथ जुट जाएं तो गत वैभव फिर से प्राप्त कर सकते हैं। यह हमें इज़राइल ने दिखाया है। सिंध में एक दिन अवश्य सिंधी हिन्दू होगा। सिंध के एकत्रीकरण से पवित्र भारत को फिर से विश्वगुरू होने का अवसर मिलेगा।
राजपाल पुरी फाउंडेशन एवं भारतीय सिंधू सभा के तत्त्वाधान में, रोहित पुरी द्वारा लिखित ‘राष्ट्राय नमः’ पुस्तक का विमोचन सरसंघचालक ने किया. उत्तर प्रदेश पूर्व राज्यपाल राम नाईक कार्यक्रम के अध्यक्ष रहे. मंच पर स्व. राजपाल पुरी जी की पत्नी कमला पुरी, पुत्र रोहित और ललित पुरी तथा भारतीय सिंधू सभा के अध्यक्ष लक्ष्मण चंदिरामानी उपस्थित थे।
सरसंघचालक ने कहा कि हमारे पूर्वजों के परिश्रम के कारण आज की पीढ़ी अच्छे दिन देख रही है। हमारे पूर्वजों के कष्टों का स्मरण हमें हमेशा रखना चाहिए। राष्ट्राय नमः पुस्तक के माध्यम से वही कार्य हुआ है। परंतु, यह पुस्तक केवल राजपाल जी के कार्य की जानकारी नहीं है। यह पुस्तक आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा देगी. विभाजन के कालखंड में राजपाल जी द्वारा किया कार्य अतुल्य है। देश एवं समाज के प्रति अपनापन होने के कारण उन्होंने यह कार्य किया. यही भावना अन्य लोगों में भी होनी चाहिये। वह भावना जागृत करने का कार्य इस पुस्तक के द्वारा होगा।
पारस के स्पर्श से जैसे लोहे का सोना बन जाता है, वैसा ही राजपाल पुरी का चरित्र एवं कार्य है। राजपाल जी जैसे पारस के संपर्क में आने से वह व्यक्ति केवल सोना ही नहीं, तो स्वयं पारस बन जाता है। वैसा ही कार्य इस पुस्तक द्वारा होना चाहिये। युवाओं के हाथ में यह पुस्तक जानी जाहिए।
इज़राइल का उदाहरण देते हुए डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि अपनी मातृभूमि के प्रति श्रद्धा एवं निष्ठा से यहूदी (ज्यू) समाज ने अपने राष्ट्र की निर्मिति की. 1800 वर्ष यहूदी समाज की अपनी मातृभूमि पर लौटने की आकांक्षा जागृत रही और उन्होंने वह हासिल की अपना खोया हुआ सब कुछ पुनः प्राप्त करने की जिद मन में रखनी चाहिये।
पूर्व राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि मेरे जीवन में हशू अडवाणी, झमटमल वाधवानी और राजपाल पुरी इन तीन व्यक्तिओं का बहुत बड़ा योगदान है। लालकृष्ण अडवाणी के रूप में मुझे चौथा सिंधी मिल गया. राजपाल जी के जीवन का परिचय पुस्तक में लिया गया है। पुस्तक का सिंधी के साथ अनेक भाषाओं में भाषांतर होना चाहिए. आने वाली पीढ़ी को यह संचित उपलब्ध होगा।
लधाराम जी नागवानी ने कहा कि सिंधी समाज को राष्ट्रीय विचारों की तरफ आकर्षित कर सिर्फ आठ वर्षों में संघ को 72 प्रचारक राजपाल पुरी ने दिये. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक, विधिज्ञ और व्यवसायिक व श्रमिकों का समन्वय इन सब का संतुलन यह उन की विशेषता थी. मनुष्य निर्माण के कार्य में उन का बहुत बड़ा योगदान है, सिंधी समाज सदैव उनका रिणी रहेगा।
रोहित पुरी जी ने कहा की राजपाल पुरी जी ने सिंध मे प्रवास कर देश प्रेम व राष्ट्र की चेतना की ज्योत जगाकर प्रतिदिन लगने वाली शाखा के माध्यम से करीब 20000 स्वंय सेवकों का निर्माण कर सिंध को संघ मय बना दिया ओर मेरी लिखी किताब पर यदि आज भी युवाओ को राष्ट्र की चेतना जगती हे तो मैं समझूंगा की मेरी किताब लिखना मेरे पिता जी को सच्ची श्रध्दांजली अर्पित हुई।